1.
चुनाव
चुनाव महासमर है
अगणित अगर -मगर है
दिखता डेग- डेग पर
अपना गांव -शहर है
भीतर बैठा डर है
बाहर खड़ा क़हर है
जभी लगता लहर है
तभी लगता पहर है
जनता बनाम सत्ता
चुनाव महासमर है
2.
विश्वास
विश्वास
कबीर मरा नहीं
तुलसी कहा यही
कबीर खड़ा वहीं
रहीम कहा यही
भारत पढ़ा वही
बच्चा गढ़ा वही
भारत बढ़ा वहीं
दुनिया कही यही
इतिहास है यही
विश्वास है यही
3.
जनता -1
जनता -1
जनता अशेष है
चुनाव आयोग आज
शेषन न, शेषक है
सिंहासन शोषक है
जनता शोषित है
प्रशासन पोषित है
सत्ता का चुनाव
शोषित बनाम शोषक
इधर तो हमारा
सूखा हुआ ख़ून है
सामने में अड़ा
कुबेर का क़ानून है
4.
जनता-2
जनता-2
जनता जी, जागो
डरकर मत भागो
बैलेट – बॉक्स में
अपना मत डालो
पावर का रेस है
ठगा – टिका फेस है
और नया फेस है
उनका तो फेस है
अपना तो देस है
———
रत्नेश कुमार
गुवाहाटी