Literature

देवी नागरानी की ग़ज़लें

ग़ज़ल : हिस्सा था ख़ानदान का, उससे जुदा न था पत्ता जुड़ा था शाख़ से जब तक गिरा न था

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विजय सराफ मीनागी की कविताएं

"जो कभी हुआ ही नहीं" जैसे बहुत से सूर्य हैं, वैसे बहुत से समन्दर भी होंगे कईं ब्रह्माण्डों में- मानव

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दिलीप दर्श की कहानी : * मानुस – कंपनी *

ठंड हो या बरसात कीरत रात को मचान पर ही सोता है। उसे कहीं और नींद ही नहीं आती। इस

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