हिंदी साहित्य के सांस्कृतिक समाजेतिहासिक आलोचक श्री भगवान सिंह की सद्यः प्रकाशित यात्रा साहित्य की पुस्तक ‘ यादों में बसी यात्राएं ‘ कुछ ही दिनों पहले प्राप्त हुई। एक स्थापित आलोचक अपनी की गई यात्राओं को किस रूप में उकेरता है, यह मेरे लिए औत्सुक्य की बात थी। एक आलोचक हर जगह आलोचक की ही भूमिका में होता है , परिवार, गांव, देश, विदेश या किसी सभागार, संगोष्ठी आदि में। यात्रा साहित्य की यह पुस्तक भी जगह – जगह उनकी आलोचकीय अन्वेषण से अछूती नहीं है। भाषा की सरलता, भावों की प्रवाहमयता, अभिव्यक्ति कौशल की निर्द्वंदता, विभिन्न दर्शनीय स्थलों के प्रति अविछिन्न कौतूहल और उनके गरिमानुकूल विवेक संपन्न चित्रण आदि विशेषताओं से परिपूर्ण यात्रा साहित्य की यह पुस्तक हिंदी साहित्य जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाती हुई दिखाई दे रही है।
पुस्तक में कुल दस आलेख हैं जिसमें तीर्थ यात्राओं के वर्णन तो हैं ही चित्रकूट की राममय रमणीयता, राम नगर की रामलीला, गोवा, आश्रम- दर्शन, पहली विदेश यात्रा और दक्षिण अफ्रीका में भारत दर्शन ये ऐसे यात्रा विवरण प्रस्तुत करते हैं जिससे हमारे मन में हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रति श्रद्धा और विश्वास तो उमड़ता ही है उसके निरंतर अवगाहन और उसके प्रति विवेक संपन्न विकास की अदम्य इच्छा प्रबल वेग से प्रवाहित हो उठती है।
श्री भगवान सिंह का यह यात्रा साहित्य सांस्कृतिक सौन्दर्य और राष्ट्रीय औदात्य की महिमा से आपूरित है। वे दक्षिण अफ्रीका में भी भारत का ही दर्शन करते हैं, उनके ‘ अन्तरीप – अवलोकन में शंकराचार्य के विराट राष्ट्रीय ऐक्य – बोध की गरिमामय प्रस्तुति है । ‘ गोवा जैसा मैंने देखा ‘ में वे लिखते हैं – सचमुच आधुनिकता के मतवाले पारंपरिक पहनावे
को अपनी सांस्कृतिक पहचान का अंग समझने से इंकार करने लगे हैं जब कि हर देश की सांस्कृतिक अस्मिता का एक अभिन्न अंग वहां का पहनावा भी होता आया है।’ कहने की आवश्यकता नहीं कि पूरी पुस्तक में लेखक ने अपने नीर – क्षीर विवेक को सर्वोपरि रखते हुए अपने मंतव्य को प्रस्तुत करने में कहीं भी कोताही नहीं की है।
यात्रा साहित्य की यह पुस्तक यात्राओं का विवरण मात्र नहीं है बल्कि राष्ट्रीय गौरव के कलात्मक सौन्दर्य का मार्मिक अनुलेखन है, चित्रविथियों का स्मारक है और यात्रा साहित्य में एक नूतन शैली का विनम्र हस्तक्षेप भी।
प्रकाशक: यश पब्लिकेशन, नई दिल्ली।
मूल्य: 550 रुपए
संपर्क: 9801055395 ( श्रीभगवान सिंह)