1. जातिसभा/जातिपर्व
भूमिहारों का टिकट कटा
ब्राह्मणों को टिकट मिला।
यादवों को ज्यादा सीटें मिलीं
कुर्मियों को उससे कम।
राजपूत सब पर भारी पड़े
कायस्थों को शहरी क्षेत्र से टिकट मिले।
चमारों को दो सीटें ज्यादा मिलीं
दूसाधों को दो सीटें कम।
वाल्मीकियों ने खटिकों की सीटों पर दावा किया
खटिकों ने राजभरों की सीटों पर।
गुर्जरों ने जाटों के लिए अपनी सीटें छोड़ीं
लोधों ने टिकट के लिए कीं मारामारी।
मल्लाहों का खाता खुला
कुम्हारों का रास्ता बंद।
कहारों ने चक्का जाम किया
हज्जामों ने पार्टी दफ्तर पर बोला हमला।
संतालों ने मुंडाओं को दिया शिकस्त।
अशराफों ने पसमांदों की सीटें हड़पीं।
यह जातिसभा का चुनाव है
लोकसभा का नहीं!
यह जातिपर्व का लोकतंत्र है
लोकतंत्र का महापर्व नहीं!
2. अमर प्रेम
पहला भाजपाई है
तो दूसरा बसपाई
तीसरा कांग्रेसी है
तो चौथा मार्क्सवादी
पांचवां सपाई है
तो छठा लोजपाई
सातवां तेदेपाई है
तो आठवां शिवसेनाई
पहला प्रचारक है
तो दूसरा विचारक
तीसरा राजनेता है
तो चौथा अभिनेता
पांचवां समाजशास्त्री है
तो छठा अर्थशास्त्री
सातवां कविगुरु है
तो आठवां लवगुरु
एक राजस्थान का रहने वाला है
तो दूसरा पंजाब का
तीसरा कर्नाटक का रहने वाला है
तो चौथा बंगाल का
पांचवां यूपी का रहने वाला है
तो छठा बिहार का
सातवां दक्षिण का रहने वाला है
तो आठवां मध्य का
पहला सांवला है
तो दूसरा भूरा
तीसरा तांबई है
तो चौथा लाल
पांचवां कत्थई है
तो छठा गेहुंअन
सातवां नीला है
तो आठवां पीला
फिर भी इनमें कितना प्रेम है
भारत का खेल यह कैसा है!
3. अहम् ब्रह्मास्मि् ऊर्फ कोरोना वायरस
भूमिहार सभा, भूमिहार चेतना समिति
भूमिहार विचार मंच, भूमिहार प्रेरणा स्थल
भूमिहार अभ्युदय दल, भूमिहार मोर्चा
ब्राह्मण सभा, ब्राह्मण बचाओ समिति
ब्राह्मण विचार मंच, ब्राह्मण निर्माण स्थल
ब्राह्मण उत्थान संघ, ब्राह्मण हितकारिणी दल
राजपूत सभा, राजपूत जागृति मंच
राजपूत उत्थान संघ, राजपूत सेना
राजपूत सम्मेलन, राजपूत समाज सेवक संघ
कायस्थ महासभा, कायस्थ हिन्दू संघ
कायस्थ जागरण मंच, कायस्थ मिलन समारोह
कायस्थ मेल, कायस्थ प्रकोष्ठ, कायस्थ एक्सप्रेस
वैश्य महासभा, वैश्य प्रेस, वैश्य महारैली
अग्रवाल विचार मंच, मोदी युवक संघ
केजरीवाल धर्मशाला, माहेश्वरी प्रकाशन
कलबार कॉलेज, तैली दैनिक, सुनार दर्पण
जाट किसान मंच, जाट अखाड़ा
जाट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, जाट अधिकार महासम्मेलन
गुर्जर विकास पार्टी, गुर्जर औषधालय
गुर्जर आरक्षण समिति, गुर्जर भोजनालय
यादव महारैली, यादव महासभा, यादव विश्वविद्यालय
कुर्मी सनलाइट सेना, कुर्मी राजनीतिक दल, कुर्मी मंदिर
कुशवाहा पाठशाला, कुशवाहा राज, कुशवाहा संगम
‘’ब्रह्मजन सुपर-100’’
अरे ओ जात-पात में लिथड़े अगम-अगोचर, आपादमस्तक
ब्रह्मज्ञानियो,
अब तक तुमने यही किया
जीवन यही जिया
बताओ तो अपने अलावा
किस-किसके लिए तुम दौड़ गए?
करुणा के दृश्यों से हाय! मुंह मोड़ गए
बन गए पत्थर
अपने लिए बहुत-बहुत ज्यादा लिया
दिया बहुत-बहुत कम
मर गया देश, अरे जीवित रह गए तुम।
(अंत की पंक्तियां मुक्तिबोध की ‘’अंधेरे में’’ कविता से साभार और सायास ली गई हैं)
4. परचम बन रहीं जातियां
सन ऑफ चमार
सन ऑफ दुसाध
सन ऑफ खटिक
सन ऑफ भंगी
सन ऑफ डोम
सन ऑफ हलखोर
सन ऑफ धोबी
सन ऑफ पासी
सन ऑफ मुसहर
………………………..
सन ऑफ मल्लाह
सन ऑफ कुम्हार
सन ऑफ कहार
सन ऑफ हज्जाम
सन ऑफ धानुक
सन ऑफ लुहार
सन ऑफ बिंद
सन ऑफ नोनिया
सन ऑफ बढई
सन ऑफ तांती
सन ऑफ रौनियार
सन ऑफ केवट
……………………..
सन ऑफ मुंडा
सन ऑफ किस्कू
सन ऑफ सोरेन
सन ऑफ भूरिया
सन ऑफ गोंड
सन ऑफ अलवा
सन ऑफ सोनवणे
सन ऑफ नेताम
सन ऑफ खाखा
………………………
इक्क्सवीं सदी की
शायद यही सबसे बड़ी गर्वोक्तियां हैं
सबसे बड़ी उदघोषणाएं
सबसे बड़ी हूंकार
सबसे बड़ी जागरुकता।
जमाना कितना बदल रहा है
कल तक जो जातियां मुंह छिपाए फिरती थीं
आज वही परचम बन लहरा रही हैं।
5. गोयबल्स की संतानें
गोयबल्स की संतानें
सौ बार नहीं
हजार बार नहीं
लाख बार झूठ बोलती हैं
उन्हें विश्वास होता है कि
अपने झूठ को सच में
और दूसरों के सच को झूठ में
तब्दील करने का एकमात्र यही रास्ता है।
गोयबल्स की संतानों को
आपके खिलाफ माहौल बनाने में भी
महारत हासिल होती है
वे चुपके से आपके दोस्तों को
आपके खिलाफ भड़का सकती हैं
आपके विरोधियों को तो
चुटकी में वे
आपके और विरोधी बना सकती हैं।
गोयबल्स की संतानें
वक्त-बेवक्त उस मौके की तलाश में रहती हैं कि
कैसे आपको अपमानित, लांक्षित, प्रताडि़त किया जा सके।
गोयबल्स की संतानों के
जिस्म, जिगर और जेहन में
जब जंग लग चुकी होती हैं
तब झूठ, फरेब, मक्कारी ही उनके काम आती हैं।
गोयबल्स की संतानें
चौकन्नी होती हैं
कि कहीं कोई सच बोलने की जुर्रत करें
और बाज की तरह झपट्टा मारें वे।
गोयबल्स की संतानें
तर्क, बहस, संवाद से वैसे ही भड़कती हैं
जैसे लाल कपड़े को देखकर सांड।
गोयबल्स की संतानें
बहुत कुछ करती हैं
वैसे ही जैसे कोई भौकाल।
गोयबल्स की संतानें
इतनी डरी हुई होती हैं कि
औरों को डरा कर, धमका कर
खुद के डर को भगाती रहती हैं वे।
(हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबल्स का मानना था कि एक झूठ को यदि सौ बार बोला जाए, तो वह सच में तब्दील हो जाएगा)
पंकज चौधरी, दिल्ली,