विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकी पाक्स को पहली बार वैश्विक बीमारी की संज्ञा देते हुए पूरी दुनिया को इस बीमारी से सावधान रहने की चेतावनी जारी की है। वैसे यह कोई नया रोग नहीं है। सर्वप्रथम इसे 1958 में अफ्रीका के एक छोटे से देश कांगो में बंदरों को आक्रांत करते हुए पाया गया और इसका आक्रांता स्मालपॉक्स के परिवार का एक वायरस है। इसी कारण इसका नामकरण मंकी पक्स हुआ। अब तक यह अफ्रीकी देशों तक ही सीमित था और बहुत बड़ा महामारी नहीं बन सका था। अबकी यह अमेरिका, यूरोप होते हुए एशिया तक अपना पैर फैलाना शुरू कर दिया है। और कल ही 9.9.2024 को अपने देश की राजधानी दिल्ली में मंकी पॉक्स का पहला केस संज्ञान में आया है। क्योंकि वायरस अपना रूप और प्रभाव बदलते रहते हैं इसलिए यह जानते हुए भी की यह रोग अभी तक बहुत घातक नहीं रहा है फिर भी सावधान रहना जरूरी है।
जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं कि किसी चिकित्सा पद्धति के पास वायरल रोगों की टीकाकरण के अतिरिक्त कोई प्रमाणिक औषधि नहीं है। फिर भी सारी चिकित्सा पद्धतियां अपने-अपने ढंग से बचाव और लाक्षणिक चिकित्सा प्रदान करने का प्रयास करती हैं। जहां तक लाक्षणिक चिकित्सा की बात है तो और कोई भी चिकित्सा पद्धति होम्योपैथी के आसपास नहीं है। आज होम्योपैथी सबसे ज्यादा संगठित और विकसित भारत में है। इसलिए हमारा कर्तव्य हो जाता है कि कोरोना काल की गलती ना दोहराते हुए हम अपनी भूमिका को विश्व के सामने सही ढंग प्रस्तुत करें। इसके लिए आयुष मंत्रालय को सही साक्ष्यों के साथ सामने आकर अपनी उपयोगिता सिद्ध करना चाहिए।
रोग कारक :
दुनिया से समाप्त हो चुके एक भयानक महामारी स्मॉल पाक्स के परिवार का एक वायरस ।
रोग वाहक :
इसके मूल वाहक बंदर हैं जिनसे संक्रमित होकर गिलहरी, चूहे और मनुष्य भी वाहक का कार्य करते हैं।
रोग क्षेत्र एवं आयु वर्ग :
अब तक अफ्रीका महाद्वीप अब सारी दुनिया। बच्चों से लेकर बूढ़े तक जिन्हें टिका न लगा हो अथवा जिनकी इम्युनिटी घट गई हो। 1971 के पहले जन्मे लोगों को स्मालपॉक्स का टीका लगा था वह सब लगभग सुरक्षित रहेंगे। कोरोना ने लोगों की इम्युनिटी को काफी कम किया है।
संक्रमण का तरीका :
मुंह, नाक, कान, आंख और शरीर पर नए घाव के रास्ते यह वायरस स्वस्थ व्यक्ति के भीतर जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संपर्क होने पर जननांग भी इस वायरस के लिए एक रास्ता बन सकते हैं। बरसात के दिनों में बंदर गिलहरियां और चूहे जंगलों से मनुष्य के आवासों और किचन गार्डन तक पहुंचने लगते हैं। इस तरह वे भी संक्रमण के कारण बनते हैं।
वैसे स्मॉल पाक्स का संक्रमण ड्रॉपलेट इंफेक्शन से होता था। जिसमें संक्रमित व्यक्ति के स्वांस और खांसी इत्यादि द्वारा निकलने वाले ड्रॉपलेट इस वाइरस को एक दूसरे तक आसानी से पहुंचा देते थे। इसलिए हमें फिर मास्क लगाने को तैयार रहना चाहिए।
इनक्यूबेशन पीरियड : यह वह समय होता है जिसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश किया हुआ वायरस पहला लक्षण आने तक अपनी कॉलोनी को बढ़ाता रहता है। वह समय है तीन से 6 दिन।
संक्रामकता अवधि :
संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने में 17 दिन से 21 दिन का समय लगता है तब तक वह संक्रामक बना रहता है।
लक्षण :
1- प्रथम लक्षण की शुरुआत बहुत तेज सर दर्द से होती है।
2- दूसरा लक्षण है बदन दर्द के साथ अत्यधिक तीव्र बुखार।
3- तीसरा लक्षण है गले के पास लिंफेटिक ग्लैंड का उभड़ आना।
यदि उपरोक्त तीनों लक्षण मिलते हैं तो सतर्क हो जाना चाहिए।
4- इसके पश्चात चेहरे पर लाल पैचेज बनते हैं।
5- फिर हाथ पैर और उनके तलवों पर वैसे ही पैचेज आते हैं।
6- यह पैचेज आगे चलकर मैक्यूल्स, पैप्यूल्स और पसट्यूल्स में बदल जाते हैं। 17 से 21 दिन के भीतर जब तक यह सूख कर उखाड़ने नहीं लगते मरीज संक्रामक बना रहता है।
अंत में-
अधिकांश मरीज स्वस्थ हो जाते हैं।
किंतु अबकी के इन्फेक्शन में 3 से 5% तक मृत्यु भी देखी जा रही है।
बचाव-
संक्रमण काल मॆं संक्रमित एरिया का पहचान करना, संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट करना एवं स्वस्थ लोगों को मास्क लगाना और हैंड सैनिटाइजेशन का विशेष ध्यान रखना।
स्मालपॉक्स का टीका इसके रोकथाम में भी उपयोगी साबित होगा।
होम्योपैथिक पद्धति में बचाव की औषधि :
मैलेन्ड्रिनम 200 ने अतीत में स्मालपॉक्स के अनेक आउटब्रेक में अपनी उपयोगिता साबित की थी। आज भी मंकी पॉक्स के संक्रमण काल में चार-चार दिन पर एक खुराक लेना काफी हद तक बचाव प्रदान करेगा।
होम्योपैथिक चिकित्सा :
लक्षण के अनुसार एकोनाइट, बेलाडोना टैरेंटुला क्यूबेंसिस,रह्स टॉक्स, कैंथेरिस, आर्सेनिक एल्बम, हिपर सल्फ, सरसेनिया पी, थूजा, सल्फर, एसिड नाइट्रिक एवं मेजेरियम इत्यादि कारगर साबित हो सकते हैं।
नोट-
औषधीयों का चुनाव होम्योपैथिक चिकित्सक की राय पर ही किया जाय। यदि सारी चिकित्सा पद्धतियां एक दूसरे का सहयोग करते हुए संक्रामक रोगों से लड़ने का प्रयास करें तो उन्हें हराना बहुत ही आसान हो जाएगा।
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डाॅ एम डी सिंह
सी एम डी,
एम डी होमियो लैब प्रा. लि.महराजगंज
गाजीपुर ऊ. प्र. भारत