भगवान सबके हैं
कहते हैं कि भगवान सबके हैं!
राजा परजा मजूर धतूर सबके
सिलक्यारा टनल के उन इकतालीस के
उनके परिवार समाज संबंधियों के
हमारे देश की समुन्नत विज्ञान के
बड़ी भारी भारी मशीनों के
अथक प्रयासों आत्मविश्वास जीवटता
पत्थरों को पराजित करने वाले हौंसलों के
अंधेरे के तो उजालों के
भगवान सबके हैं!
डिगरियों के गट्ठर के
जूतियां घिसते करोड़ों युवाओं के
भगवान सबके हैं!
सेठ साहूकारों के
जलयान गगनयान
रिक्शावान गाड़ीवान के
मेमों की गोद में पल रहे कुत्तों के
उसके दुलार पुचकार के
इंपोर्टेड फूड और दूध के
चौराहे में भिखारिन के
सूखी छातियों की माप के
उसके बच्चे की भूख के
ओसारे में खांसते बूढ़े बाप के
भगवान सबके हैं!
जीतने वालों के
जिताने वालों के
लोक के
तंत्र के
शब्दों के संधि विच्छेद के
भगवान सबके हैं!
महज इकतालीस की सुरंगों से मुक्ति के
चौराहे पे बिकने को प्रतीक्षित मजदूरों के
मिलों में झुलसे नर कंकालों के
क़र्ज़ में डूबे किसान भगवान के फंदों के
मैला साफ़ करने वालों के
तमाम अंधेरी अंधी सुरंगों के
कायनात की चुप्पी के
अंधों बहरों के बीच
मेरी आवाज़ के
लेखनी की मसि के
भगवान सबके हैं!
2.
राजा परजा मजूर धतूर सबके
सिलक्यारा टनल के उन इकतालीस के
उनके परिवार समाज संबंधियों के
हमारे देश की समुन्नत विज्ञान के
बड़ी भारी भारी मशीनों के
अथक प्रयासों आत्मविश्वास जीवटता
पत्थरों को पराजित करने वाले हौंसलों के
अंधेरे के तो उजालों के
भगवान सबके हैं!
डिगरियों के गट्ठर के
जूतियां घिसते करोड़ों युवाओं के
भगवान सबके हैं!
सेठ साहूकारों के
जलयान गगनयान
रिक्शावान गाड़ीवान के
मेमों की गोद में पल रहे कुत्तों के
उसके दुलार पुचकार के
इंपोर्टेड फूड और दूध के
चौराहे में भिखारिन के
सूखी छातियों की माप के
उसके बच्चे की भूख के
ओसारे में खांसते बूढ़े बाप के
भगवान सबके हैं!
जीतने वालों के
जिताने वालों के
लोक के
तंत्र के
शब्दों के संधि विच्छेद के
भगवान सबके हैं!
महज इकतालीस की सुरंगों से मुक्ति के
चौराहे पे बिकने को प्रतीक्षित मजदूरों के
मिलों में झुलसे नर कंकालों के
क़र्ज़ में डूबे किसान भगवान के फंदों के
मैला साफ़ करने वालों के
तमाम अंधेरी अंधी सुरंगों के
कायनात की चुप्पी के
अंधों बहरों के बीच
मेरी आवाज़ के
लेखनी की मसि के
भगवान सबके हैं!
2.
नकटउरा
पुरुष ने चाहा कि वह महफूज रहे
वह पलने लगी मां की देख रेख में
सयानी हुई तो छोटे भाई की निगरानी में
ब्याही गई तो स्वामी की सुरक्षा में
जने तो सुपुत्र की सहमति में
लड़े समाज तो गालियों में
प्रतिशोध पूरे हुए उस पर बलात् से
उसे कहा गया
पुरुष पर आंच आये
तो उससे पहले जलो
उसके लिए तपो
आयें यमदूत तो आगे रहो
तुम अपने भाई पुत्र पति के लिए जियो
पुरुष ने रचीं पोथियां प्रशंसा में
‘बिधिउ न नारि ह्दय गति जानी’
उसने बारात सजाई
विवाह की पेटरिया जुटाई
हाथी घोड़ा रथ जुताये
मंगल गीत और गारी गवाई
कभी द्वार चार तो फिर पैंपुंजी करवाई
जिस मुहूरत में सात फेरे हुए
नकटउरा में वही रस्म हुई
मधुचंद्र विलास भी उसने मनाया
पुरुष ने शोध किया
कभी फ़ूहड़ तो अश्लील क़रार दिया
संतति बढ़ी
समय बदला
अब वह सोच रही है
अश्लील क्या था
बलइया या श्लील की बलि
इधर रचे गए द्विअर्थी
उत्तेजक भद्दे गीत
इनका सम्मान बढ़ा
किंतु स्त्री
उसने सौंप दिया सर्वस्व
पुरुष समाज को
वह सोचती है
ग़लती कहां हुई
श्लील से अश्लील में
या पुरुष की बलइया मे
पिता में
भाई में
पति में
पुत्र में
कल में
आज में
भविष्य में
उससे गलती कब कहां हुई
कदाचित
पुरुष के लिए नकटउरा में।
सयानी हुई तो छोटे भाई की निगरानी में
ब्याही गई तो स्वामी की सुरक्षा में
जने तो सुपुत्र की सहमति में
लड़े समाज तो गालियों में
प्रतिशोध पूरे हुए उस पर बलात् से
उसे कहा गया
पुरुष पर आंच आये
तो उससे पहले जलो
उसके लिए तपो
आयें यमदूत तो आगे रहो
तुम अपने भाई पुत्र पति के लिए जियो
पुरुष ने रचीं पोथियां प्रशंसा में
‘बिधिउ न नारि ह्दय गति जानी’
उसने बारात सजाई
विवाह की पेटरिया जुटाई
हाथी घोड़ा रथ जुताये
मंगल गीत और गारी गवाई
कभी द्वार चार तो फिर पैंपुंजी करवाई
जिस मुहूरत में सात फेरे हुए
नकटउरा में वही रस्म हुई
मधुचंद्र विलास भी उसने मनाया
पुरुष ने शोध किया
कभी फ़ूहड़ तो अश्लील क़रार दिया
संतति बढ़ी
समय बदला
अब वह सोच रही है
अश्लील क्या था
बलइया या श्लील की बलि
इधर रचे गए द्विअर्थी
उत्तेजक भद्दे गीत
इनका सम्मान बढ़ा
किंतु स्त्री
उसने सौंप दिया सर्वस्व
पुरुष समाज को
वह सोचती है
ग़लती कहां हुई
श्लील से अश्लील में
या पुरुष की बलइया मे
पिता में
भाई में
पति में
पुत्र में
कल में
आज में
भविष्य में
उससे गलती कब कहां हुई
कदाचित
पुरुष के लिए नकटउरा में।
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डॉ श्यामबाबू शर्मा
‘मातृछाया’ 19 ए/30
सेक्टर 19ए, वृंदावन योजना
लखनऊ -226029(उ प्र)
लखनऊ -226029(उ प्र)
मो. 9863531572