सफर
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ओ बारिश,
मैंने तुम्हें कल रात अंधेरे में चुपके से
दबे पाँव आते देखा
तुम बरसती रही सारी रात
और मैं बिस्तर पर करवटें बदलती रही
तुम बरसती रही सारी रात
और मैं भीगती रही नींद में
तुम्हारे नर्म बूंदों से ।
ओ बारिश,
जिस वेग से तुम आई
वापस लौट के आना मेरे ही पास
लौट के आना तुम मेरे पास
मैं भीगना चाहती हूं
भीगना चाहती हूं मैं
तन से मन से
तुम्हारी ठंडी नर्म बूंद में
तुम्हारे साथ इसी वेग से
उड़ना चाहती हूं भीगती हुई
अनजाने से सफर में
बादलों पे सवार हो
दूर- सूदूर कहीं ओर
लहराती गुनगुनाती भीगती
पेडों को चूमती सी।
ओ बारिश,
मुझे आलिंगन करो
और ले चलो अपने ही साथ
दूर कहीं दूर कहीं बहुत दूर।
प्यार
प्यार
अहसास
इच्छाएँ
गिले शिकवे
चुपचाप से
बे आवाज़
शून्य में गिर जाते हैं
ब्रह्मांड
थक रहा है
अपने ही खालीपन से….
मौन चाकू
हवा की तरह हल्का,
पत्थर की तरह कठोर,
होता है ये मौन चाकू
अहसास को तराशता है,
रिश्तों को विभाजित करता है
दरारों का निर्माण करता है
घाव देता है
जब भी यह बिस्तर पर गिर जाता है
प्यार लहूलुहान हो जाता है…
रिश्तें
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रिश्तें
ध्वनि या स्वर की तरह होते हैं..
कभी गूंजते हैं
संवाद की तरह कानों में
रात सपने में दिखते हैं
तो कभी पास बैठ
ढ़ेरों बातें करते हैं…
बोलने, गाने, हंसने, रोने के
न जाने कितने सुर
बंधे हैं इन आँखों से…
रिश्तों में
बहुत कुछ खो कर भी
रह जाता है
कुछ पास
वही होता है
सबसे खास….
दस्तक
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मैंने अपने माता-पिता में बदलाव देखा
वे धीरे-धीरे चलने लगे हैं,
उनमें ताकत कम हो चुकी है
वे कहानियाँ दोहराते हैं,
उनका दिमाग भटकता है
और वे परेशान होते हैं।
अतीत से ग्रस्त
जोखिम से बचते हैं।
मैं हतप्रभ रह जाती हूँ
जब वे सलाह मानने से इनकार करते हैं,
और “हिमनद गति” जैसे रहते हैं।
इन दिनों
उनका दिल हर दिन थक कर सोता है
आंखें कमजोर हो चुकी हैं
कान कुछ बेबस से हो चले हैं,
हृदय के थक जाने के कारण
शक्ति लुप्त हो गई है
और मुंह चुप सा हो गया है
ज्यादा बोल नहीं पाता।
दिमाग भुलक्कड़ बन चुका है
कल को याद नहीं कर पाता
जीभ के सारे स्वाद ख़त्म हो गये हैं
दिल को अपनापन
अब याद नहीं रहता
अच्छाईयां बुराई बन गई है
वक़्त के साथ बदल गया है
उनका वो सब कुछ जो कभी
बहुत अपना लगता था।
सारी तरुणाई सिमट चुकी है
चेहरे की सिलवटों में
जोड़ों को काम करने से
शिकायत सी होने लगी है।
सरकते हुए समय ने बता दिया कि
बुढ़ापा उम्र के दरवाजे पर
दे चुका था दस्तक।
इन दिनों
इन दिनों
दिल हर दिन थक कर सोता है
आंखें कमजोर हो चुकी हैं
कान कुछ बहरे से हो चले हैं,
हृदय के थक जाने के कारण
शक्ति लुप्त हो गई है
और मुंह चुप सा हो गया है
ज्यादा बोल नहीं पाता।
दिल भुलक्कड़ बन चुका है
कल को याद नहीं कर पाता
सारी तरुणाई सिमट गयी है
चेहरे की सिलवटों में
जोड़ों को काम करने से
शिकायत सी होने लगी है
सारे स्वाद ख़त्म हो गये हैं
दिमाग को अपनापन
अब याद नहीं रहता
अच्छाईयां बुराई बन गई है
वक़्त के साथ बदल गया है
वो सब कुछ जो कभी
बहुत अपना लगता था
सरकते हुए समय ने बता दिया
बुढ़ापा दस्तक दे चुका था
उम्र के दरवाजे पर ।
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हड्डियों को बुढ़ापे का कष्ट होता है
बूढ़ा व्यक्ति हमारे जीवन के गुरु होते हैं जो हमें नये दृष्टिकोण और ज्ञान देकर पुराने समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करते हैं। वे हमें यह भी सिखाते हैं कि किसी भी उम्र में नया काम शुरू कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, हमें उनके अनुभवों से प्रेरित होना चाहिए और उनकी समय की मूल्य जानना चाहिए।
हम जीवन में कई दौर देखते हैं. 7287 हैं? तो जानिए कि इसको लेकर साइंस क्या कहता है और वो कौन से शारीरिक कारण होते हैं, जो हमें समय के साथ या समय के पहले बूढ़ा बनाते हैं. हम बूढ़े क्यों होते हैं इसकी सही सही परिभाषा देना तो मुश्किल है लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक जब इंसानी शरीर बाहरी तत्वों, धूल मिट्टी, प्रदूषण आदि से संपर्क में आता है तो शरीर की क्वालिटी में गिरावट देखने मिलती है. वैज्ञानिकों ने बुढ़ापे को लेकर नौ ऐसे तथ्य निकाले हैं जो की इंसानी शरीर को बूढ़ा करने के कारक हैं. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
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माइटोकॉन्ड्रिया को शरीर का पावर हाउस कहा जाता है, वो अपने साथ-साथ बाकी कोशिकाओं की क्रिया को भी नियंत्रित करता है. अगर इस माइटोकॉन्ड्रिया की प्रणाली में गिरावट आएगी तो शरीर के कई कार्यों में गिरावट देखने मिलती है.
दूसरा कारण- टेलीमियर में गिरावट
शरीर में नई कोशिकाएं बनने का काम चलता रहता है, जिससे की शरीर नया सा रहता है. लेकिन इन कोशिकाओं को सुरक्षित तरह से अलग करने में क्रोमोसोम का बहुत बड़ा हाथ होता है. कोशिका के डीएनए के अंदर पाए जाने वाले क्रोमोसोम के सिरों पर टेलिमियर नाम का सुरक्षा कवच मौजूद होता है. अब लगातार कोशिका विभाजन से इस टेलीमियर की मात्रा कम होने लग जाती है. तो शरीर बूढ़ा होने लगता है. टेलीमियर के कम होने का नतीजा ये होता है की कोशिकाएं रेपलिकेट होकर नई तो बनती हैं, लेकिन हाल के हाल नष्ट हो जाती हैं. इसका नतीजा होता है, स्किन में झुर्रियां आना, बाल झड़ना, कम दिखाई या सुनाई देना.
तीसरा कारण- स्टेम सेल के रेप्लिकेशन में गिरावट
स्टेम सेल, वह कोशिकाएं हैं जो कि कई तरह की कोशिकाओं में विभाजित होने का गुण रखती हैं. ये शरीर में रिपेयर सिस्टम की तरह काम करती हैं. मुख्यतः तो इनके दो प्रकार होते हैं, एम्ब्रियोनिक स्टेम सेल और एडल्ट स्टेम सेल. स्टेम सेल शरीर के कई भागों में पाए जाते हैं, लेकिन धीरे धीरे समय के साथ इनका रेप्लिकेशन भी कम हो जाता है. इससे शरीर के अंग अपना काम पहले की तरह अच्छे से नहीं कर पाते हैं और समस्याएं होती हैं. जैसे घुटने में दर्द आदि.
चौथा कारण- स्टेम सेल नष्ट होना
इंसान स्वस्थ्य जीवन शैली को अपनाकर अपने स्टेम सेल्स को जल्दी नष्ट होने से बचा सकते हैं. क्योंकि शरीर जितना अस्वस्थ्य लाइफस्टाइल में रहेगा, इन सेल्स को बीमारियों से लड़ने के लिए उतनी ही ज्यादा मेहनत करनी होगी. नतीजा होगा इनका जल्दी नष्ट होना.
पांचवां कारण- कोशिकाओं का प्रोटीन क्वालिटी कंट्रोल
समय के साथ कोशिकाओं की क्रिया में गिरावट आती है, और फिर वो पहले की तरह प्रोटीन की जांच नहीं कर पातीं. जिसका नतीजा होता है जहरीला या खराब प्रोटीन, शरीर में प्रवेश कर जाना. इस वजह से मेटाबॉलिक एक्टिविटी जरुरत से ज्यादा तेज हो जाती है, और यह इन कोशिकाओं के लिए जानलेवा होता है. अगर एक्सीडेंटल केस को हटा दिया जाए तो खराब दिनचर्या, कम होती लाइफ स्पेन का मुख्य कारक कहा जा सकता है. समय से पहले बुढ़ापे जैसे लक्षण, बालों का चला जाना, थकान का एहसास, भूलने की बीमारियां, नजर कमजोर होना आदि दर्शाती हैं की शरीर ओवरवर्क कर रहा है.
उपरोक्त तथ्यों को अगर ध्यान में रखा जाये तो यही निष्कर्ष निकलता है कि, आप भी अपनी छोटी-छोटी आदतों में सुधार करके अपने शरीर को एक लम्बी आयु दे सकते हैं. जहाँ एक ओर वैज्ञानिक तो लगातार ही इंसानी शरीर को संरक्षित कर दोबारा जीवन देने जैसे अविष्कारों में लगे हुए हैं, वहीँ हम भी अपने शरीर के लिए थोड़ी अच्छी आदतें तो अपना ही सकते हैं.
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नीता अनामिका, कोलकाता