काव्य कृति- उजालों का कारवाँ (स्व.) केशरी चन्देल “अक्षत”
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अक्षत सम्मान समारोह-2024 में “अक्षत स्मृति साहित्य रत्न” से सम्मानित होते हुए.
इसे संयोग नहीं तो और क्या कहें.?.
इसे संयोग ही कहा जाए तो उचित होगा कि आज ही के दिन अर्थात 15 जनवरी 2024 के दिन चार-चार प्रमुख घटनाएं एक साथ घटित होकर सुखद वातावरण की निर्मिति कर रही है. पहली- तो यह कि आज मकर संक्रान्ति का पावन पर्व है. तिल और गुड़ के मिश्रण से बने मीठे लड्डु खाने का दिन और दूजी घटना- आज ही के दिन मेरे मित्र ( स्व.) श्री केशरी चन्देल “अक्षत” जी का 84 वां जन्म दिवस है. तीसरी- यह कि आज ही के दिन मेरे द्वारा रामकथा पर लिखित तीन-तीन उपन्यास यथा-(1) वनगमन (2) दन्डकारण्य की ओर (3) “लंका की ओर” के प्रकाशित हो जाने का सुखद संयोग बना और चौथी- आज ही के दिन अर्थात 15 जनवरी 2024 की शाम को हिन्दी प्रचारिणी समिति छिन्दवाड़ा के मुक्तकाश के तले पद्मश्री सम्मान से सम्मानित उस्ताद अहमद हुसैन साहब तथा उस्ताद मोहम्मद हुसैन साहब के हस्ते मुझे “अक्षत स्मृति साहित्य रत्न सम्मान-2024” से सम्मानित किया. ऐसी अविस्मर्णीय घटनाएँ यदा-कदा ही जुड़ पाती हैं.
हिन्दी प्रचारिणी समिति के विशाल प्रांगण में “15 वां “अक्षत सम्मान समारोह-2024” समारोह पूर्वक संपन्न हुआ. इस भव्य कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे तत्कालीन जिलाध्यक्ष मा. श्री मनोज पुष्प जी एवं पुलिस अधीक्षक मान श्री विनायक वर्मा जी, विशिष्ठ अतिथि थे मान.श्री मतीन खान जी (सहायक उपाध्याक्ष एवं स्पोर्ट्स हेड,लोममत समूह) नागपुर तथा श्री राजेश भट्ट जी (आकाशवाणी भोपाल). इसी विशाल मंच पर शोभायमान थे, विश्व विख्यात भजन एवं गजल गायकी के बेजोड़ गायक तथा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित श्री उस्ताद अहमद हुसैन साहब और उस्ताद मोहम्मद हुसैन साहब.
कार्यक्रम का शुभारंभ भजन गायकी से प्रारंभ हुआ. कुछ भजन, कुछ गजलों का दौर चला. इसी क्रम में (स्व) अक्षतजी के चुनिंदा गजलों को गाकर हुसैन बंधुओं ने जनसमुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसी खुशनुमा महौल में (स्व). अक्षतजी की गजलों का कैसेट का विमोचन किया गया. तदनन्तर हुसैन बन्धुओं को “अक्षत स्मृति गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए मुझे “अक्षत स्मृति साहित्य रत्न सम्मान-2024” से, कला-क्षेत्र से मित्र श्री ध्रुव राधिका रामचंद्र को “अक्षत स्मृति कला सम्मान-2024, तथा युवाओं के प्रेरणास्त्रोत, समाजसेवी श्री मनोज सोनी जी को “अक्षत स्मृति शिक्षाविद सम्मान-2024” से सम्मानित किया गया.
अपने पिताश्री की स्मृतियों को अक्षुण्य बनाने के लिए और उनका साहित्य जन-जन तक पहुँचाने का भगीरथ प्रयास करने वाले स्व.अक्षत जी के दो होनहार पुत्र-द्वय श्री जयेश चंदेल, एवं श्री विश्वेश चंदेल की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम ही होगी. पितृभक्त पुत्रों को लेकर पद्म-पुराण में कहा गया है –
“पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः//
पितरौ यस्य तृप्यन्ति सेवया च गुणेन च
तस्य भागीरथीस्नानमहन्यहनि वर्तते.” //
अर्थात- पिता धर्म है, पिता स्वर्ग है, और पिता ही सर्वश्रेष्ठ तप है. पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं. जिसकी सेवा और सद्गुणों से माता-पिता संतुष्ट रहते हैं, उन पुत्रों को प्रतिदिन गंगा-स्नान का पुण्य लाभ मिलता है.
मैं अपनी ओर से तथा मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति जिला इकाई छिन्दवाड़ा तथा हिंदी भवन के सभी माननीय पदाधिकारियों की ओर से आपको बहुत-बहुत आशीर्वाद. शुभ कामनाएं. बधाइयां. इस विश्वास के साथ कि यह क्रम अनवरत चलता रहे.
देर रात्रि तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय साहित्यकार, बुद्धिजीवी तथा गणमान्य नागरिकों ने इस भव्य कार्यक्रम में अपनी भागीदारी का निर्वहन किया.
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9424356400 गोवर्धन यादव.