-वायरस से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी संक्रमित हो जाती है
कोलकाता : तालाब के पानी में अमीबा वायरस के खतरे को लेकर डाक्टरों ने सतर्क रहने की सलाह दी है। मालूम हो कि तालाब में स्नान करने के दौरान दिमाग में अमीबा वायरस के पहुंचने से केरल में एक किशोर की मौत हो गई थी। यह घटना केरल के अलाप्पुझा जिले की है। इसकी पुनरावृत्ति बंगाल में भी हुई है। लिहाजा सवाल उठने लगा है कि क्या तालाब का पानी स्नान करने योग्य नहीं है। मालूम हो कि एकल-कोशिका अमीबा संक्रमण के कारण किशोर को मेनिंगो-एन्सेफलाइटिस विकसित हुआ। यानी रीढ़ की हड्डी और दिमाग में जानलेवा संक्रमण हुआ। केरल स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि इस बीमारी की चपेट में आने वालों की मृत्यु दर 100 फीसदी है। इस बीमारी से पिछले कुछ सालों में वहां 9 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोलकाता के डाक्टरों ने कहा कि इस बिरल रोग के प्रकोप से बंगाल भी मुक्त नहीं है। विशेषज्ञों का आकलन है-कोरोना काल के बाद इस बीमारी से पीड़ित होने वाली घटना किसी अज्ञात कारण से इस देश में पहले से बढ़ गई है। वे इसके लिए तालाब को ही जिम्मेवार मानते हैं।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ योगीराज राय का कहना है कि हालांकि हाल ही में कोलकाता में इसी बीमारी से चार मरीजों की मौत हो गई है, लेकिन दो मरीज बच गए हैं। उन्होंने कहा-यह बीमारी प्रदूषित पानी वाले तालाबों में नहाने या तैरने की आदत से होती है। अमीबा आसानी से नाक में प्रवेश कर सीधे मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। तभी मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी संक्रमित हो जाती है। यह इतनी जल्दी होता है कि संक्रमण को घातक होने में देर नहीं लगती। माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ सौगत घोष कहते हैं- मस्तिष्क या आंखों में अमीबा संक्रमण बहुत गंभीर है, इसका कोई विशिष्ट उपचार नहीं है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इसको लेकर आतंकित होने की जरूरत नहीं है। वैसे भी यह रोग बिरल है। उन्होंने लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का सुझाव दिया है।