ध्रुवदेव मिश्र ‘पाषाण’ जी ने प्रभा खेतान के साहित्यिक योगदान पर बहुत खुलकर बोला है। निर्भय देवयांश ने भी बहुत सराहनीय इंटरव्यू किया है। अच्छा लगा। धन्यवाद निर्भय जी को।
कलकत्ता में प्रभा खेतान के साहित्यिक कर्म और साहित्यिक योगदान (contribution) को जानना बहुत जरूरी है। बिना जाने उनका आकलन ठीक (और समुचित भी) नहीं होगा।
लेखिका प्रभा खेतान को मैं भी जानता, समझता और पढ़ता रहता था। एकाध दफा से ज्यादा उनसे मुलाकात भी हुई थीं। थोड़ी जटिल भी थीं वे, लेकिन उनका लेखन इतना भरा-पूरा था कि लगता रहा था इतना कुछ करते हुए भी वे रचनात्मक (लेखन) काम-काज के लिए समय कब निकालती होंगी !
प्रभा खेतान के कई चेहरे हैं। मेरी समझ से वे सक्रिय लेखन में 1980-81 के बाद आईं। उससे पहले वे पूरी तरह उद्धमी (entrepreneur) थीं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा प्रभा खेतान किसी जमाने में कलकत्ता चेंबर ऑफ कॉमर्स की एकमात्र महिला अध्यक्ष रही थीं। वर्ष 1972 के आसपास प्रभा खेतान ने इसी कलकत्ता में लेदर निर्यात कंपनी (Leather Export Company) भी खोली थीं।
प्रभा खेतान का जन्म 01 नवंबर, 1942 में हुआ था और वे गुजरीं 20 सितंबर, 2008 में।
‘ज्यादा पॉल सात्र के अस्तित्ववाद’ पर प्रभा खेतान ने पीएचडी किया था। वे कोलकाता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एमए थीं, लेकिन प्रभा खेतान हिंदी साहित्य की दुनिया में चर्चा में तब आईं जब प्रभा खेतान की किताब ‘स्त्री उपेक्षिता’ आईं। यह पुस्तक सिमोन द बोऊवा के ‘सेकेंड सेक्स’ पर आधारित थी।
प्रभा खेतान मेरी समझ से एक नारीवादी चिंतक थीं। उन्होंने उपन्यास लिखा, कविता लिखी और रचनात्मक अनुवाद भी किया। और अपनी आत्मकथा भी लिखीं ‘अन्य से अनन्या’। मौका मिलें, तो कभी पढ़िएगा। (आपकी बुद्धिमत्ता और बढ़ेगी)
प्रभा खेतान की कविता पुस्तक एक नहीं, अनेक हैं। अपरिचित उजाले (1981), सीढ़ियां चढ़ती मैं (1982),
एक और आकाश की खोज में (1985) आदि।
प्रभा खेतान केंद्रीय हिंदी संस्थान की सदस्या भी थीं। वे असमय चली गईं। कलकत्ता के हित के लिए यह ठीक नहीं हुआ। तब मैं ‘कुमार भारत’ हुआ करता था। ‘कविताई’ करता था और लिखना-पढ़ना सीख रहा था।
बांग्ला-हिंदी की पत्रिकाओं और बांग्ला कविता-कहानी में डूबा रहता था। अनुवाद भी खूब करता था और प्रभा खेतान जैसी लेखिकाओं को चाव से पढ़ता भी रहता था।
जयनारायण प्रसाद, कोलकाता
लेखिका प्रभा खेतान के साहित्यिक योगदान में कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण की भूमिका : जयनारायण प्रसाद

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