कम-ज्यादा
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बच्चे के जाने के बाद
अब घर में
एक बच्चे का खाना कम बनता है
अलगनी पर
एक बच्चे के कपड़े कम सूखते हैं
स्कूल की वैन और कक्षा में
एक बच्चा कम होता है
बच्चों के खेल में
एक खिलाड़ी की जगह खाली रहती है
घर के पालतू जानवर को
एक बच्चे का प्यार कम मिलता है
तीज-त्योहार पर
एक बच्चे की खरीदारी कम होती है
एक बच्चे के हिस्से के
धरती-आसमान
पेड़-फूल
हँसी-खुशी
शब्द-चुप्पी
प्यार-तकरार
कम होते हैं
सारी कम चीजों के बाद
एक बच्चे की याद अधिक आती है
एक बच्चे का इंतज़ार
ज्यादा होता है।
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कुछ पेड़
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कुछ पेड़ छोटे होते हैं
कुछ बड़े
कुछ पेड़ छायादार होते हैं
कुछ फूल-फलदार
कुछ पेड़ लंबे समय तक चलते हैं
कुछ अल्पकाल तक
कुक पेड़ जीते जी भी
किसी के ख़ास काम नहीं आते
कुछ पेड़ अपना जीवन जी लेने के बाद भी
वर्षों तक उपयोगी रहते हैं
हमें देखना होगा
कौन-सा पेड़ हमारे नज़दीक है।
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संभावना
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टेबल पर रखी
कई पुस्तकों में से
एक पुस्तक में रखी छोटी पेंसिल
बाहर की ओर झाँक रही है
उसका झाँकना प्रेरित करता है
मानो, संकेत दे रही हो
जीवन कितने भी दबावों के मध्य घिरा हो
एक संभावना
बाहर की ओर
बची रहती है।
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प्रकाश को प्रणाम
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बचपन में देखा
सांझ होने पर
जब भी कोई दीप जलाता
घर के बड़े-बुजुर्ग
हाथ जोड़कर
प्रणाम करते दीये को
हम बच्चे विस्मय से
देखते यह सब
फिर जब बिजली आयी घरों में
दीपक की जगह
जलने लगे बल्ब
तब भी बड़े-बुजुर्गों को
बल्ब की ओर प्रणाम करते देखा
बहुत बर्षों बाद
जब हम बालपन से बाहर आये
तब जान पाये
बुजुर्ग किसी दीपक या बल्ब को नहीं
प्रकाश को प्रणाम करते थे।
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बीमारी
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कुछ डॉक्टरों की फीस
इतनी अधिक होती है
सुनकर ही
मरीज की तबियत
ज्यादा ख़राब होने लगती है
सभी बीमारियाँ
शारीरिक नहीं होती
कुछ सामाजिक भी होती हैं।
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उपचार
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घर का एक बच्चा
गम्भीर बीमार है
उसको उपचार के लिए
अस्पताल ले जाना होता है
जब कोई बच्चा
बीमार होता है
समूचा घर चिंता की चपेट में आ जाता है
और हर सदस्य बारी-बारी से बीमार होता है
अस्पताल के परिवेश पर
मैंने एक कविता लिखी
और उसे एक ग्रुप में साझा किया
अनेक पाठकों को कविता पसंद आयी
एक पाठक मित्र ने
कविता के आंतरिक मर्ज को पकड़कर
मुझे फोन किया
हाल-चाल पूछा
अस्पताल की कविता के प्रयोजन
पर सवाल किया-
क्या कोई बीमार है घर में?
मैंने कविता की सच्चाई की स्लिप
उसके सामने रख दी
उन्होंने अंधकार में भरोसे
और राहत की रोशनी दिखायी
जानता हूँ
कि बीमारी जाते-जाते ही जा पायेगी
लेकिन किसी अजीज का
आत्मीयता और आश्वासन भरा आचरण
दुनिया के मेले में
गुम हुए बच्चे को
अचानक किसी अपने के मिलने का
अहसास जगाता है।
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शेर-बेटा
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ग्यारह वर्षीय बच्चे की
सप्ताह में
तीन दिन डायलेसिस होती है
बच्चा हर बार
ना-नुकुर
आनाकानी करता है
रोग की रस्सी पर
चलते हुए बच्चे को
माता-पिता बाहों में भरकर
कहते हैं-
यह हमारा शेर बेटा है
बच्चा
हौसले से हाथ मिलाता हुआ
माता-पिता की ओर देखता है एकटक
माता-पिता
नन्हें शेर को खामोशी से
डॉक्टर और नर्स के साथ
जाता हुआ देखते हैं।
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मन
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डॉक्टर
जब राउंड पर आते हैं
और मरीज से
हँस बोलकर बात करते हैं
उस दिन
मन मौन रहता है
जिस रोज
निरीक्षण करते हुए
डॉक्टर मौन रहते हैं
उस दिन
मन बहुत बोलता है।
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कोई रोकता है मुझे
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जिस कोठरी में
पहले मैं रहता था
उसमें एक खिड़की थी
जहाँ से नीला नभ
और हरा-भरा फूलों वाला पेड़
दिखता था
वे आँखों के साथ-साथ
मेरे रक्त में भी रम गये थे
अब नभ,पेड़ और खिड़की के मध्य
एक चमकदार बहुमंजिला इमारत है
कभी-कभी
खिड़की से बाहर झाँकने का
मेरा मन होता है
पता नहीं कौन?
मुझे रोक देता है।
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ममता का मरहम
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जीवन में जब कभी
तुम घिर जाओ
समस्याओं के शत्रुओं के बीच
दुविधा के दोराहे पर खड़े होकर
सूझता न हो कोई रास्ता
और दुखों की चिलचिलाती धूप
झुलसाने लगे तुम्हारी कोमल काया
असमंजस और कश्मकश के कंटीले तार
तुम्हें चुभने लगे
तुम घबराना नहीं
पड़ने मत देना कोई दरार
अपने हौसले की तस्वीर में
तब तुम
प्यार से
किसी पुस्तक के पास जाना
कर देना स्वयं को समर्पित
पुस्तक तुम्हारे दुखते माथे पर
ममता का मरहम लगायेगी
अपने ज्ञान के उजाले की ऊर्जा से
तुम्हारे अंतर्मन का अंधेरा दूर करेगी
तुम खुद को सुरक्षित पाओगे
जैसे कोई शिशु
होता है माँ की गोद में।
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माँ और बच्चा
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आप माँ हैं
मैं बच्चा
माँ बच्चे को
सदा नया सिखाती हैं
अपनी ममता की छाया तले
बच्चे को सुलाती है
अपनी छवि
बच्चे में निहारती है
अपना सर्वस्व
उस पर वारती है
क्योंकि वह माँ है
माँ सदा माँ रहेगी
बच्चा
माँ के लिए
आजीवन
बच्चा रहेगा।
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इंतजार
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पुस्तकें लंबे समय से
इंतजार में हैं
हाथों से मोबाइल हटे
तो हाथ
पुस्तकों की ओर भी बढ़े
मोबाइल जादूगर है
हाथों को हसरतों की
हथकड़ियों में रखता है।
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अपने पालतू से बिछड़ते हुए
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उसे एक लंबे इलाज के लिए
महीनों भर के लिए
दूसरे शहर जाना था
उसने अपने पालतू कुत्ते को
मित्र के घर छोड़ने का फैसला किया
इस विचार के अंजाम से
कई दिन पूर्व ही
पालतू मालिक के मन की बात
जान गया था
उसके खान-पान
रहन-सहन
प्यार-दुलार में
बदलाव था
आखिर एक-न-एक दिन
हर किसी का समय से सामना होता है
छोड़े जाने वाले रोज
पालतू सारी राह भौंकता रहा
एक समय के बाद
वह चुप्पी को गले लगाकर शांत बैठ गया
विदाई से पूर्व
आँखों में अश्रु लिए
मालिक कुत्ते के पास गया
उसे बाहों में भरकर
अपने बच्चे की तरह बेइंतहा प्यार किया
फिर तुरंत
अपनी यात्रा के लिए निकल पड़ा
चूँकि उसे आगे जाना था
पीछे देखना
उसके लिए संभव न था
मालिक जानता था
वह अपनी पीड़ा
किसी से कह भी सकता है
मासूम पालतू तो
सिर्फ़ सह ही सकता है।
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कागज़-कलम
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दुनिया के
सबसे सुंदर कागज़-कलम
वे हैं
जो किसी बेरोजगार को
रोज़गार की
ख़ुशी देते हैं।
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लहरों की लगन
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लहरें चट्टानों को बुलाती हैं
अपने संग खेलने के लिए
चट्टानें अनदेखा करती हैं
लहरों का निमंत्रण
लहरें निराश नहीं होतीं
भेजती रहती हैं
प्रयासों के प्रेम भरे पैगाम
लहरें चट्टानों को बुलाने
उनके द्वार तक
बेहिचक जाती रहेंगी बार-बार
लहरों को अपनी लगन पर
अटूट भरोसा है
वे जानती हैं
चट्टानें एक दिन
खेल में शामिल होंगी जरूर
विश्वास के विमान पर होकर सवार
लहरें ठुमकती,गरजती हुई
चट्टानों से मिलने
रोज जाती हैं।
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एक दीया
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एक दीया
मैंने रख दिया
घर की देहरी पर
चहुँ ओर
फैल गया उजियारा
दीये की रोशनी में
जगमगा उठा
घर आँगन और गलियारा
आओ मिलकर
एक-एक दीया जलाये
जग का तम
दूर भगाये।
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जसवीर त्यागी, दिल्ली