-पीएमजीएसवाई के तहत गांव की सड़कें बनाने के लिए लेनी होगी सांसदों की अनुमति
-राज्य सरकार ने जताई कड़ी आपत्ति
कोलकाता : केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत गांवों की ओर बनने वाली सभी पक्की सड़कों के लिए योजना से लेकर उद्घाटन तक हर चरण में सांसदों की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में राज्य को लिखा है कि इस नियम का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
मालूम हो कि विभिन्न मुद्दों के बाद कई लोगों की शिकायत है कि केंद्र इस बार भी राज्य की जासूसी करा रहा है। मामले पर राजनीतिक दबाव शुरू हो गया है। जिसके मुताबिक, 100 दिनों के काम के बाद मिड डे मील प्रोजेक्ट में केंद्र की भूमिका पर एक बार फिर चर्चा की गई है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना योजना में राज्य की हिस्सेदारी है। नवान्न के अनुसार, केंद्र राज्य से परामर्श किए बिना एकतरफा निर्णय नहीं ले सकता। इसके अलावा, सांसद केवल जनता के प्रतिनिधि नहीं हैं। ग्रामीण सड़कों के निर्माण के लिए क्षेत्र के निर्वाचित विधायकों, ग्राम पंचायतों, पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों की भी राय ली जानी चाहिए।
लेकिन केंद्र के पत्र में सिर्फ सांसदों से मंजूरी लेने को कहा गया है। सरकार का प्रश्न मूलतः इसी बारे में है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव अमित शुक्ला के हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि जिला ग्रामीण सड़क योजना के विकास के लिए सांसदों से अनुमति ली जाये। यदि कोई सड़क ग्राम सड़क योजना परियोजना के तहत बनाई जाती है, तो भी यह तय करने के लिए सांसदों से परामर्श करना होगा कि यह किन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।
किसी विशेष वित्तीय वर्ष में ग्राम सड़क योजना परियोजना के तहत कितनी सड़कें बनाई जाएंगी, इसकी सूची को अंतिम रूप देने के अलावा, एक ‘प्राथमिकता सूची’ बनाई जानी चाहिए और कौन सी सड़कें पहले बनाई जानी चाहिए और कौन सी निर्दिष्ट की जानी चाहिए। केंद्र ने कहा कि इस सूची को बनाने से पहले सांसदों की मंजूरी ली जानी चाहिए। यदि सांसद इस संबंध में कोई सुझाव देते हैं तो उस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
यह भी बताया गया है कि सांसद के प्रस्ताव पर विचार नहीं करने का कारण भी दर्ज किया जाये। इतना ही नहीं, ‘राज्य स्तरीय स्थायी समिति’ यह जांच करेगी कि सांसदों द्वारा दिए गए प्रस्ताव उचित रूप से स्वीकार किए गए हैं या नहीं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत यदि कोई सड़क बनाई जाती है तो उसके उद्घाटन या शिलान्यास समारोह में सांसदों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित किया जाना चाहिए।
इस पर तृणमूल नेता तापस राय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा-केंद्र किसी भी कीमत पर राज्य की चुनी हुई सरकार को नियंत्रित करना चाहता है। यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। भारत जैसी संघीय व्यवस्था में केंद्र और राज्यों की समान भूमिका होती है। ऐसे में राज्यों पर केंद्र की यह निगरानी संघीय व्यवस्था के विपरीत है।
हालांकि, बीजेपी सांसद जगन्नाकथ सरकार ने कहा-सांसद भी जनता द्वारा चुने जाते हैं। जनता के प्रति उनकी भी जिम्मेदारी है। सांसदों को यह भी जानना होगा कि जनता के पैसे से बन रही सड़क नियमों का पालन कर रही है या नहीं। हमें केंद्रीय परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए भी आमंत्रित नहीं किया जाता क्योंकि हम विपक्षी सांसद हैं। इसलिए केंद्र ने जो फैसला लिया है वह बिल्कुल सही है।
प बंगाल : केंद्र ने दिया नया फरमान तो राज्य सरकार ने जताई कड़ी आपत्ति
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