*महंगाई और बेरोजगारी की दोहरे मार से बेहाल है देश की आम जनता*
बिहार जद(यू.) के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि केंद्र की सरकार आम आदमी के जेब पर डाका डालने का काम कर रही है। बीते कुछ दिनों से सब्जियों एवं अन्य खाद्य वस्तुओं के कीमतों में हुए बेतहाशा वृद्धि केंद्र की विफल नीतियों का दुष्परिणाम है। आसमान छूती महंगाई की वजह से देश का गरीब और मध्यमवर्ग अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी सक्षम नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि महंगाई को सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने 2014 में देश की जनता से वोट लिया था और उन्होंने यह भी वादा किया था कि उनकी सरकार आते ही महंगाई बिल्कुल खत्म हो जाएगी मगर आज मौजूदा स्थिति पहले से भी बदतर हो चुकी है। प्रधानमंत्री जी अपने गिनेचुने उद्योगपति दोस्तों के सेवा में इतने मस्त हो चुके हैं की जनता का त्रस्त हालात उन्हें नजर नहीं आ रहा है। अच्छे दिन का सपना दिखाकर भाजपा की सरकार ने देश की जनता को बुरे दिन के अंधकार में झोंकने का काम किया है।
श्री कुशवाहा ने कहा कि मई महीनें के मुकाबले बेरोजगारी दर 7.68 से बढ़कर जून में 8.45% हो गई है। देश में बेरोजगारी की ऐसी भयावह स्थिति पहले कभी नहीं थी, देश की आम जनता एक तरफ़ महंगाई की मार झेल रही है दूसरी तरफ बेरोजगारी की मार, यह दोहरी मार गरीबों के लिए असहनीय दर्द की तरह है। पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों ने सीधे जनता के जीवन पर बुरा प्रभाव डाला है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों ने गिरावट आने के बावजूद भी देश की जनता को राहत देना भाजपा के नीयत पर सवाल खड़े करता है। जो गैस सिलेंडर की कीमत मोदी सरकार आने से पहले 415 रुपये हुआ करती थी वह आज बढ़कर 1300 रुपए हो चुकी है। भाजपा वाले जवाब दें की क्या यही है गरीबों के अच्छे दिन? बीते 9 वर्षों में मोदी जी ने देश की जनता को अर्थिक प्रताड़ना देने का काम किया है। प्रधानमंत्री मोदी जी के द्वारा देश की जनता से किया गया ‘अच्छे दिन’ का वादा ढकोसला साबित हुआ। जनहित के प्रति अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़कर भाजपा गुजरात के चंद पूंजीपतियों के प्रति अपनी वफादारी साबित करने में जुटी हुई है। अपने 9 वर्षों के कार्यकाल में केंद्र सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुई है। भाजपा सरकार में जितने भी बड़े-बड़े मंत्री हैं उनका रिपोर्ट कार्ड उठा कर देखा जाए तो मालूम पड़ेगा कि उन्होंने बीते 9 वर्षों में झूठ बोलने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं किया है।