1
तेरी याद में जो गुज़ारा गया है
वही वक़्त अच्छा हमारा गया है
तुम्हें मेरी हालत पता क्या चलेगी
मेरा जो गया कब तुम्हारा गया है
तुम्हें इश्क़ का आइना मानकर के
मुक़द्दर को अपने संवारा गया है
अजब है मुहब्बत का मैदान यारो
न जीता गया है न हारा गया है
है मेरी भी आदत तुम्हारे ही जैसी
हर इक रंग मुझपे तुम्हारा गया है
***
2
आँधी चली थी शम्अ बुझाने तमाम रात
जलते रहे थे ख़्वाब सुहाने तमाम रात
यूँ मेरे दर्दे- दिल की दवा बन सके न तुम
रिसते रहे हैं ज़ख़्म पुराने तमाम रात
तोड़ा था जिसके दिल को सितारों ने बेसबब
आये थे जुगनू उसको मनाने तमाम रात
जिनके लिए थी दिल की वो महफ़िल सजी हुई
आए नहीं वो रस्म निभाने तमाम रात
आई नहीं न आँख लगी सुब्ह हो गई
करती रही है नींद बहाने तमाम रात
3
जो तू ज़िन्दगी में न मिल सका मुझे इसका कोई गिला नहीं
है गिला नसीब में फिर कभी भी वफ़ा का फूल खिला नहीं
मैं रहूँगी संग सदा तेरे तू जहाँ रहे मेरे हमसफ़र
मेरा आशियाँ तेरे दिल में है मेरी चाह कोई क़िला नहीं
मेरी हसरतें मेरे साथ ही तुझे याद कर के हैं थक गईं
तेरी ख़ामुशी है सज़ा मुझे मेरे प्यार का ये सिला नहीं
ये जो ख़्वाब है मेरी आँख में तेरे दम से है ये बुना हुआ
तेरा अक्स आँख की झील में कई मुद्दतों से हिला नहीं
मेरे प्यार तुम तो नसीब हो मेरी ज़िंदगानी का नूर हो
मैं जहान भर में तलाश की मुझे तुमसा कोई मिला नहीं
4
तुम आये याद हमेशा ही रौशनी की तरह
ये और बात कि मिलते हो अजनबी की तरह
न कोई फूल न तितली न कोई रंगे हयात
है आज ज़ीस्त भी तस्वीरे- बेकसी की तरह
तुम्हारी याद में सावन की तरह रोती हूँ
न सूख जाएं ये आँखें किसी नदी की तरह
मैं घर को लौट रही हूँ कि शाम ढलने लगी
कि दिल में बढ़ने लगी याद तीरगी की तरह
कब आओगे कि उतारूँ तुम्हारा सदक़ा मैं
कि जल रही हूँ शबो- रोज़ ‘आरती’ की तरह
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5
तेरे बग़ैर मेरा घर उदास रहता है
मेरा सुकून बराबर उदास रहता है
हर इक मक़ाम पे किस्मत भी आज़माती है
कहीं भी जाऊं मुक़द्दर उदास रहता है
ये फड़फड़ाये तेरे आने की ख़बर सुनकर
कि और दिन तो कलन्डर उदास रहता है
करूँ सिंगार मैं ख़ुद को संवार लूँ कितना
जो तू न देखे तो ज़ेवर उदास रहता है
सताया याद ने तेरी सो दिल ये रोया है
कहाँ ये सोच समझकर उदास रहता है
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6
तुम्हें दुनिया की नज़रों से बचाकर साथ रखना है
मेरी चाहत का ख़त हो तुम छुपाकर साथ रखना
मेरे आँगन में ठहरे हैं तुम्हारी याद के साये
तुम्हारे आने तक दिल से लगाकर साथ रखना है
कहानी की तरह तुमको सुना सकती नहीं सबको
तुम्हें गीतों के जैसे गुनगुना कर साथ रखना है
सजाना है कभी हाथों में मेंहदी की तरह तुझको
कभी आँखों में काजल- सा समा कर साथ रखना है
मैं तितली की तरह हूँ फूल के जैसा है तू हमदम
मैं दिल हूँ सो तुझे धड़कन बनाकर साथ रखना है
सफ़र मुश्किल बहुत है और मंज़िल दूर है अपनी
हमें मुश्किल को ही हिम्मत बनाकर साथ रखना है
7
तेरे हमराह यूँ चलना नहीं आता मुझको
वक़्त के साथ बदलना नहीं आता मुझको
मैं वो पत्थर भी नहीं हूँ कि पिघल भी न सकूँ
मोम बनकर भी पिघलना नहीं आता मुझको
क़ीमती शै भी किसी राह में खो जाये अगर
हाथ अफ़सोस में मलना नहीं आता मुझको
तुम मुझे झील सी आँखों से अभी मत देखो
डूब जाऊँ तो निकलना नहीं आता मुझको
आग का मुझ पे असर कुछ नहीं होने वाला
तुम जलाओ भी तो जलना नहीं आता मुझको
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8
मुश्किलें लाख हों लेकिन मेरी ख़्वाहिश होगी
आपका साथ निभाने की तो कोशिश होगी
तोहमतें कितनी लगाओगे मुहब्बत पे मेरी
इससे तो शहर में नफ़रत की नुमाइश होगी
इन अंधेरों से कोई ख़ौफ़ नहीं है मुझको
मैं समझती हूँ यहाँ नूर की बारिश होगी
कोई मुंसिफ़ किसी मुजरिम को सज़ा कैसे दे
जब अदालत में वकीलों की सिफ़ारिश होगी
अब तो मज़लूम भी ख़ंजर का सहारा लेगा
न कोई विनती करेगा न गुज़ारिश होगी
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9
किनारा हूँ मैं दरिया का तो तुम धारा की कलकल हो
जहाँ हमतुम मिलें हमदम वहीं क़िस्सा मुकम्मल हो
हमेशा मुस्कुराते गुनगुनाते ज़िन्दगी गुज़रे
न दिल में हो शिकन कोई न माथे पर कोई बल हो
सजी हो पाँव में पायल लगी हो हाथ में मेंहदी
मेरे सर पर तुम्हारी चाहतों का सुर्ख़ आँचल हो
सिला है मेरी उल्फ़त का तुम्हारे प्यार का पाना
मेरी सब प्रार्थनाओं का दुआओं का तुम्हीं फल हो
मैं हूँ इक बूंद पानी की वजूद इसका है तुमसे ही
कभी सागर के जैसे हो कभी भीगा सा बादल हो
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10
हिम्मत को इक सलाम है औरत की ज़िंदगी
कब मुश्किलों का नाम है औरत की ज़िंदगी
अपना वजूद खोके भी सबके लिए जिये
रिश्तों का एहतराम है औरत की ज़िंदगी
इसके ही दम से आज यहाँ है ये रौनकें
क़ुदरत का इक पयाम है औरत की ज़िंदगी
सूरज यही है चाँद यही, रात दिन यही
जीवन की सुब्हो- शाम है औरत की ज़िंदगी
हैं उसके पास सब्र दया और चाहतें
एहसास का क़याम है औरत की ज़िंदगी
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11
हर तरफ़ है शोर जारी, ख़ौफ़ तारी है
मन व्यथित है सांस भारी, ख़ौफ़ तारी है
वक़्त है हम चुप न बैठे हाथ बांधे यूँ
अब तो लें कुछ ज़िम्मेदारी, ख़ौफ़ तारी है
हर घड़ी है सबके मन में सोच यह हावी
कब यहाँ है किसकी बारी, ख़ौफ़ तारी है
ज़ात मज़हब नस्ल पैसा, कुछ नहीं देखे
इसके आगे सब भिखारी, ख़ौफ़ तारी है
खबरें मुर्दों से भरीं, चैनल से रिसता खूं
ख़ौफ़ में जनता है सारी, ख़ौफ़ तारी है
ये सियासत मौत पे भी जश्न है करती
कुछ कमी इसमें हमारी, ख़ौफ़ तारी है
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12
ग़म से जब मिलना मिलाना हो गया
कम ख़ुशी का आना जाना हो गया
मिलते ही परवाज़ पंछी उड़ गए
पेड़ का क़िस्सा पुराना हो गया
सह लिए इक बार जो उनके सितम
फिर तो हर दिन का फ़साना हो गया
इक ज़रा तितली हवा में क्या उड़ी
उसका तो दुश्मन ज़माना हो गया
दर्द, आहट, ज़ख़्म, लहज़ा और ख़त
याद का मेरी ख़ज़ाना हो गया
नेकियाँ, तहज़ीब, रिश्ते, चाहतें
इनको देखे तो ज़माना हो गया
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13
नक़्शा निगाह में रखना आसमान का
अरमां अगर है दिल में ऊँची उड़ान का
सिक्के खनकते ही ये नीयत बदल गई
किसको ख़्याल है अब अपनी ज़ुबान का
अब आप ही बताएं क्या फ़ायदा हुआ
अँधे के हाथ में यूँ तीरो -कमान का
ऐ दोस्त तेरी घातों के बावजूद भी
ऊँचा रहा है झंडा हिन्दोस्तान का
सच मानो नींव का पत्थर ही वजूद है
हर एक ख़ूबसूरत ऊँचे मकान का
हाथों में गर रही है हरदम किताब ही
फिर ख़ौफ़ कैसा है उसको इम्तिहान का
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14
सीख देता है यही इतिहास हम सब जानते हैं
क्यों रहे सदियों किसी के दास हम सब जानते हैं
ताज पाने के लिए क्या-क्या नहीं होता यहाँ पर
क्यों मिला था राम को वनवास हम सब जानते हैं
एक भक्तिन ने कई वर्षों तलक है राह देखी
सब्र का मीठा था वो अहसास हम सब जानते हैं
राम कोई अब न भागेगा हिरन के पीछे -पीछे
है छलावा रूप का विन्यास हम सब जानते हैं
युद्ध में कितने ही नरसंहार का कारण बना था
द्रौपदी का वह कुटिल परिहास हम सब जानते हैं
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15
वही मंज़र नज़र आते हैं अब हमको नज़ारों में
कि जिनमें साथ हमतुम चल रहे हैं चाँदतारों में
कभी मन्नत के धागों में कभी गंगा की धारों में
तुम्हें माँगा तुम्हें पाया है क़िस्मत के सितारों में
छलक आते हैं आँसू यूँ तुम्हारे प्यार में अक्सर
कि जैसे बारिशें पत्ते भिगोती हैं बहारों में
सुखद अहसास होता है तुम्हें जब सोचते हैं हम
लगे ऐसा कही हो बात तुमने कुछ इशारों में
अगर हो साथ तुम तो डर नहीं है मौत का हमको
ख़ुशी से चल पड़ेंगे पाँव अपने इन शरारों में
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परिचय
डॉ. आरती कुमारी
जन्म / जन्म स्थान- 25 मार्च, गया
शिक्षा /व्यवसाय- एम.ए(अंग्रेज़ी हिंदी), पीएचडी (अंग्रेज़ी, शिक्षाशास्त्र), एम.एड.,नेट (शिक्षाशास्त्र)
सम्प्रति- सहायक प्राध्यापक, गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, सीतामढ़ी
*प्रकाशन- 1.धड़कनों का संगीत ( काव्य- संग्रह)मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा विभाग) द्वारा पांडुलिपि स्वीकृत एवं अभिधा प्रकाशन से 2022 प्रकाशित,
2.साथ रखना है (अभिधा),
3.मुंतज़िर है दिल (उर्दू निदेशालय से पांडुलिपि स्वीकृत एवं एरम पब्लिकेशन से उर्दू में 2023 में प्रकाशित)
*संपादन- 1.ये नए मिज़ाज का शहर है(लोकोदय प्रकाशन),
2.बिहार की महिला ग़ज़लकार (लोकोदय प्रकाशन)
*पंजाबी , नेपाली एवं गुजराती में रचनाएँ अनुदित
*आकशवाणी, दूरदर्शन से कविताओं और ग़ज़लों का प्रसारण विभिन्न सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों में प्रमुख हिस्सेदारी
कविताकोश, रेख़्ता एवं समकालीन हिंदुस्तानी ग़ज़ल एप में ग़ज़लें संकलित, अंग्रेज़ी में कविताओं का प्रकाशन- the melodies of immortality , Cosmic poetry, Vol 2 में अंग्रेज़ी कविताएँ संकलित,
सम्मान- चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान , पटना द्वारा गोपी वल्लभ सहाय सम्मान 2013, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा ” उर्मिला कौल साहित्य साधना सम्मान’2018 एवं हिंदी – सेवी सम्मान 2018, निराला स्मृति संस्थान, डलमऊ द्वारा ‘ सरोज स्मृति सम्मान 2018 ,नवशक्ति निकेतन संस्था द्वारा ‘शाद अज़ीमाबादी सम्मान 2020’ , अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद द्वारा ‘राजभाषा शिखर सम्मान 2021’, धड़कनों का संगीत संग्रह पर श्रेष्ठ साहित्य सृजन सम्मान 2022, कुमार नयन स्मृति पुरस्कार 2022, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी , शिलांग द्वारा ‘डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान’ 2022, अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच द्वारा ‘धड़कनों का संगीत’ काव्य संग्रह पर ‘द्वारिका प्रसाद सक्सेना स्मृति कविता सम्मान’ 2022, ‘ साथ रखना है ‘ ग़ज़ल संग्रह पर ‘ सुधा काशिव सम्मान 2023 ‘ आदि
वर्तमान/स्थायी पता- शशि भवन
आज़ाद कॉलोनी, रोड 3
माड़ीपुर, मुज़फ़्फ़रपुर बिहार
फोन नं/वाट्स एप नं-8084505505
*ई-मेल- artikumari707@gmail.com