By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept

Lahak Digital

News for nation

  • Home
  • Lahak Patrika
  • Contact
  • Account
  • Politics
  • Literature
  • International
  • Media
Search
  • Advertise
© 2023 Lahak Digital | Designed By DGTroX Media
Reading: आशा सिंह सिकरवार की कविताएं
Share
Sign In
0

No products in the cart.

Notification Show More
Latest News
किशोर कुमार को समर्पित संगीतमय संध्या में अमित सिन्हा ने बांधा समा
Entertainment
वरिष्ठ कवि और दोहाकार डॉ सुरेन्द्र सिंह रावत द्वारा संकलित व सम्पादित सांझा काव्य संग्रह ‘काव्यान्जली 2024’ का लोकार्पण हुआ*
Literature
राकेश भारतीय की कविताएं
Literature
कमल हासन की मणिरत्नम निर्देशित फिल्म *ठग लाइफ* 5 जून को होगी रिलीज
Uncategorized
*कैदियों को कैंसर के बढ़ते खतरे से जागरूक करने के लिए तिहाड़ जेल वन में कार्यक्रम का आयोजन हुआ*
Motivation - * प्रेरक *
Aa

Lahak Digital

News for nation

0
Aa
  • Literature
  • Business
  • Politics
  • Entertainment
  • Science
  • Technology
  • International News
  • Media
Search
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Lahak Digital > Blog > Literature > आशा सिंह सिकरवार की कविताएं
Literature

आशा सिंह सिकरवार की कविताएं

admin
Last updated: 2023/09/19 at 8:35 AM
admin
Share
12 Min Read
SHARE

कोल्हू का बैल

मुँह अंधेरे से चकई चलती है
पिसती हैं
चूर – चूर कर अपना वजूद
सिर पर उठाती हैं पृथ्वी
अंधेरे से गुजरते हुए

Contents
कोल्हू का बैलइस उजाड़ में  ( आतंकवाद के विरुद्ध)यंत्रणाबिच्छूनाखूनगिद्धभेड़िएबाज

कहाँ  -कहाँ
क्षत -विक्षिप्त अंधेरे में
फिर भी स्वीकार्य नहीं है

पिर रही
धानी के संग
जैसे कोल्हू का बैल

क्या पाता है ?
थक कर झुक जाती है
विवाइयाँ फट जाती हैं
रोज़ाना गिर रही है बूँद बूँद

परिक्रमा लगाते हुए
बुदबुदाती है -“कब मुक्ति मिलेगी ”

हे अन्नदाता  !
हे प्रभु  !
बड़े भ्रामक शब्द
बैल के मुँह से उच्चारित हुए
अब चक्कर नहीं लगाती है वह

दहलीज़ पर खड़ी सोचती है
अनेक उत्पीड़न की
अवधारणा के विषय में

और फिर कर्मठ दिनों का
हिसाब-किताब करने लगती है
लिखती हैं दो और दो चार नहीं
बाईस वीं  सदी

इस उजाड़ में  ( आतंकवाद के विरुद्ध)

वे डर गए हैं

डर को ओढ़कर

कहाँ पहुँचेंगे ?

हजारों, लाखों की तादाद में
रोटी, कपड़ा और मकान
की तलाश में ,

बसे जीवन को छोड़
वीराने में भटकना
अब बढ़ रहे थे वे भयावह
वक्त की ओर ।

एक उजाड़ में
प्रवेश करते हुए
जीवन के मुख पर
गहरी, काली मायूसी छा गई ।

2 .

चुप्पी लगी है
साम्राज्यवाद के मुख पर
मुट्ठी भर लोग
गोली की दहशत से
डरा रहे हैं मानव सभ्यता को ।

हम लौट रहे हैं इतिहास में
एक और ऐतिहासिक घटना को टांके हुए
अनंत दहशतगर्दों की भीड़ में
घुसते हुए लिख रहे हैं स्लेट पर विनाश ।

और यह भी ताकत के आगे
बौना है मनुष्य
हमारी भीतर की जमीन
पथरीली हो चली है ,
इसलिए हर देश के पास होने चाहिए
मिसाइलें, जेट विमान, गोला बारूद और तोप ,
एक -दूसरे को धारा शाही करने के लिए
जवानों की फौज
उनकी शहादत पर बना लेंगे अपना मकबरा
देते हुए
विस्तारवाद को जन्म ।

किस सदी में कौन- कौन परास्त हुआ ?
कितने सत्ताधीश आए  ?
उनका कर्म-कांड ।

चल पड़े हैं
अपनी जर -जमीन को छोड़ कर
अपने बच्चों और औरतों के साथ
सुरक्षा की भीख मांगने ।
दुनिया के किस मुल्क  के पास
मिलेगी ,
जबकि हर मुल्क  लड़ रहा है अब भी
महामारी से ।

गठरी बाँध कर
चले थे हम भी
संसद से सड़क तक
सड़क से गाँव तक
रोटियों से पटरियों तक
सांसों के बचाव में
दर्ज हुई मृत्यु

आदमी को अब डरने की जरूरत है
पता नहीं कब सोते हुए नींद में
निकल आयें ,
उसके भीतर से नाखून और दांत
और नींद में ही
लहू-लुहान हो जाए
खुद से लड़ते हुए ।

3.

इतनी चुप्पी कम है
चुप्पी को और गहराना चाहिए

सब आतंकवाद के खिलाफ़ ।
एक जुट न हो जाएं
जब तक
डर से लड़ते हुए
डर का  गला न मशक दें ।

जो लगे हैं
धरती को बंजर बनाने में
मानवीयता को पंगु बना कर
आसीन रहना चाहते हैं सिंहासन पर ,

जिनकी नज़र में
आदमी – आदमी में फ़र्क़ है
आदम की खेती करना चाहते हैं
आदम की नस्ल उगाने में
विश्वास है उन्हें

आदमी और शैतान में
पहचान नहीं कर पा रहे हैं
गोली, बारूद से भरे दिमाग़ में
आदमीयत को शर्मसार
करते हुए
धरती से आदमी का
रिश्ता भुला देना चाहते हैं ।

जबकि एक तिहाई धरती
मज़हबी ताक़त से घिरी है
फिर भी
चुप्पी नहीं टूट रही

आदमी
सचमुच लापता है दुनिया से

यंत्रणा

उसका दमन, तिरस्कार
उसकी यंत्रणा
उतनी ही प्राचीन है
जितना कि पारिवारिक जीवन का इतिहास ।

असंगत और मन्द प्रक्रिया में
उसने हिंसा को हिंसा की दृष्टि से
देखा ही नहीं कभी
वह स्वयं भी हिंसा से इंकार करती है
धार्मिक मूल्य और सामाजिक दृष्टि का बोझ
उसके कंधे पर रख दिया गया ।

‘आक्रमण ‘, ‘बल’ , ‘उत्पीड़न ‘के
चक्रव्यूह में फँसती चली गई
उसने सहे आघात पर आघात

धकेल दिया गया
उसकी भावनाओं को भीतर
ज़बरन उससे छीन ली गई
उसकी स्वेच्छा ।

वह पूछती है कौन हैं वे अपराधी
अपराधियों को अपराध करने की प्रेरणा
कहाँ से मिलती है ?
इन्हें रोकने के उपाय किसके वश में हैं ?

बिच्छू

उसे बिच्छू ने डंक मारा
जानबूझकर ,
खून से तर हो गईं उंगलियां ।

रक्तचाप के दबाव में
आ गई थीं साँसे
बेख़बर था वह ।

अपनी जगह से दूर निकल गया
धरती में सुराख़ करते हुए
कुछ देर विराम लेता हुआ ।

जहर उतर रहा था नसों में
चेहर हो रहा था स्याह नीला
वर्तमान की दीवारें चटकने लगीं ,
झांकता अंधेरा बाहर
सूरज को मात देता ।

और बचाव के पक्ष में
अपना तर्क
घने बियाबान की
सबसे ऊंची शाख पर टांग देता है ।

नाखून

लम्बे -नोकदार नाखून की इस परंपरा में

घायल है खरगोश
घायल है गिलहरी
घायल है कबूतर

रोज क्षत – विक्षत घोंसला
परेशान  है चिड़िया
घोंसले में हैं अंडे
जैसे धरती के पेट से
उमग कर आ गिरे हो बीज
आकाश ताकते ।

तितर – वितर हैं
तितली के पंख नाखूनों के वजन से
फूलों की खुशबू पर
तैरते हैं नाखून
पंखुड़ियाँ बिखर जाती हैं
सबसे भयावह है इस समय
नाखून रंग पर उतर रहे हैं ।

भुरभुरी रंग में सना
एक कोने में उदासी का साहस
रूढ़ परंपराओं पर
तीक्ष्ण बार करता ।

नाखून पर
धार रखता है
टूट कर गिर रहे हैं,

अपने समय का
सबसे धारदार हथियार
बिंध रहा है रोशनी के छिद्रों पर ।

गिद्ध

गिद्ध
अपने भारी डेनो के साथ
उतरता है एक सुबह ।

बहुत ऊँचाई से
हवस की फिराक में
मृत देह पड़ी है
हरी घास पर ।

जान न्योछावर करते हुए
वह अपनी चोंच गड़ा देगा
बहुत बाद में

सम्भव है
सदी के बाद
उसे घोषित किया जाए ,

गिद्ध
पहले गिद्ध नहीं था ।

भेड़िए

अंधेरे मोड़ पर
जब हारी थकी स्त्री दो क्षण
सांस ले रही होगी
भेड़िए का झुंड
निकल पड़ेगा शिकार की तलाश में ।

शिक्षित स्त्री को सबक देते हुए
भेड़िए को दाँतो से ,नाखूनों से ही नहीं
आवाज़ से भी पहचाना
जा सकता है ।

मसलन
गुर्राने की क्रिया में
तन जाएगी उसकी गर्दन ।

डराने की कोशिश में
स्वयं को बहुत ताकतवर साबित करेगा
तभी घुप अंधेरे में
सरक जाएगा विकसित काल

सभ्यता के कदम
दो गज जमीन में धंस जाएंगे ।

बाज

बाज
अपने गुण के कारण
पहचाना जाता है ।
फरेब के कारण सच छिप जाता है कई बार
इसलिए
पहचान ही लिया जाएगा यह सम्भव नहीं है
हर बार ।

होती है उसकी तेज निगाह
और यह भी
जब वह शिकार करता है
तब स्त्री को जान से हाथ धोना पड़ता है ।

चौंकनी स्त्री भी
आ जाती है कभी कभी
बाज के झपट्टे में

सदियों बहस छिड़ी रहती है ,
वह तो बहुत समझदार थी
कर्म और वचन से भी ।

कुआँ
उसे दिखाई नहीं दिया
गुहार लगाएं
कोट कचहरी
न्याय स्वयं सेवी संस्थाओं से ।

सब की सब
चित – पट में गुंथे
स्त्री को ताकते  हैं हिदायतों से ।

———–

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार
साहित्य चिंतन पत्रिका ब्यूरो चीफ गुजरात
साहित्य टीवी दिल्ली (ब्यूरो चीफ गुजरात)

( विश्व हिन्दी शोध एवं  संवर्धन अकादमी वाराणसी (भारत)
गुजरात प्रदेशाध्यक्ष  )

जन्मस्थान : अहमदाबाद (गुजरात  )
शिक्षा :एम.ए.एम.फिल. ,पीएच.डी (गुजरात यूनिवर्सिटी )

प्रकाशित तीन आलोचनात्मक पुस्तकें :

:1.समकालीन कविता
के परिप्रेक्ष्य में चंद्रकांत
देवताले की कविताएँ (जवाहर प्रकाशन )
(2017)

2.उदयप्रकाश की
:कविता (2017)(जवाहर प्रकाशन )

:3.बारिश में भीगते (रामदरश मिश्र के काव्य संग्रह)
बच्चे एवं आग कुछ
नहीं बोलती (2017)(,जवाहर प्रकाशन )

4.उस औरत के बारे में, 2020 जगमग दीप ज्योति पब्लिकेशन राजस्थान

5.स्त्री की गंध
अद्वैत प्रकाशन ,नयी किताब प्रकाशन  नई दिल्ली  2022

6.उस औरत के बारे में
काव्य संग्रह की रचनाओं को गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद के नये पाठयक्रम में रखा गया है । ( काव्य संकलन  ,कविता :कल और आज )

निर्दलीय पत्रिका विशेषांक, सितम्बर अंक 2022 नई दिल्ली/
भोपाल ।

अन्य लेखन –
कविता,  ग़ज़ल  ,कहानी, लघुकथा ,आलेख ,समीक्षा
समीक्षा लेख  (कंट्री आफ इंडिया  दैनिक पत्र में अनेक समीक्षाएं )समाचार पत्रों  ,राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रीय पत्रिकाओं में   शोध- पत्र,  में प्रकाशित, आकाश वाणी से रचनाएँ प्रसारित । भाषा, संचेतना  ,प्राची  ,अभिनीत इमरोज,
अनुकृति, दीपजयोति  , कृति बहुमत  , लहक ,ककसाड़,
दोआबा  प्रेरणा अंशु ,उत्सव रचना   ,प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कविता एवं समीक्षा प्रकाशित ।

काव्य संकलन -नयी सदी के स्वर, झरना निर्झर,देवसुधा,गंगोत्री, मन की आवाज, गंगाजल, कवलनयन, कुंदनकलश, अनुसंधान, त्रिवेणी, कौशल्या, शुभप्रभात, कलमधारा, प्रथम कावेरी ,अलकनंदा, साँसों की सरगम ,गुलमोहर  ,गंगोत्री ,आकाश की सीढ़ी है बारिश ,बारिश की भाषा , मेरी माँ  इत्यादि काव्य संकलनों में कविताएँ शामिल ।
लघुकथा संकलन: कारवां मंजिल की ओर ,दमकते लम्बे ।
सम्मान एवं पुरस्कार :
1. भारतीय राष्ट्र रत्न गौरव पुरस्कार -पूणे
2.किशोरकावरा पुरस्कार -अहमदाबाद
3 अम्बाशंकर नागर पुरस्कार -अहमदाबाद
4.महादेवी वर्मा सम्मान -उत्तराखंड
5.देवसुधा रत्न अलंकरण -उत्तराखंड
6 काव्य गौरव सम्मान -पंजाब
7.अलकनंदा साहित्य सम्मान  – लखनऊ
8.महाकवि रामचरण हयारण ‘ मित्र ‘सम्मान  – जालंधर
9.त्रिवेणी साहित्य सम्मान  – दुर्ग  ( छतीसगढ)
10.हिन्दी भाषा.काॅम  सम्मान  -मध्यप्रदेश
11. नवीन कदम साहित्य प्रथम पुरस्कार (छत्तीसगढ़)
12 .साहित्य दर्पण प्रथम पुरस्कार   भरतपुर राजस्थान
13 .राष्ट्रीय साहित्य सागर श्री इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान मध्यप्रदेश और देशभर से अनेकों सम्मान ।
14 .अटल रत्न सम्मान,   लखनऊ  2021 में ।
15.साहित्य अकादमी धरा, झारखंड, प्रथम पुरस्कार 2021
16.पुष्पेंद्र कविता शिखर  सम्मान  , भोपाल  ,म.प्र .2022

————

डॉ .आशा सिंह सिकरवार
609 ,बी  ,दीपाली नगर आदीनाथ नगर ओढ़व
अहमदाबाद- 382415 ( अहमदाबाद  )
मोबाइल  – 7802936217
ईमेल  – dr.ashasinghsikarwar105@gmail

You Might Also Like

वरिष्ठ कवि और दोहाकार डॉ सुरेन्द्र सिंह रावत द्वारा संकलित व सम्पादित सांझा काव्य संग्रह ‘काव्यान्जली 2024’ का लोकार्पण हुआ*

राकेश भारतीय की कविताएं

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,

कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन

जवाहरलाल जलज की कविताएं

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
admin September 19, 2023
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article किसान मजबूत होगा तभी बिहार मजबूत और श्रेष्ठ होगा : सम्राट चौधरी
Next Article नीता अनामिका की कविताएं
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

235.3k Followers Like
69.1k Followers Follow
11.6k Followers Pin
56.4k Followers Follow
136k Subscribers Subscribe
4.4k Followers Follow
- Advertisement -
Ad imageAd image

Latest News

किशोर कुमार को समर्पित संगीतमय संध्या में अमित सिन्हा ने बांधा समा
Entertainment June 16, 2025
वरिष्ठ कवि और दोहाकार डॉ सुरेन्द्र सिंह रावत द्वारा संकलित व सम्पादित सांझा काव्य संग्रह ‘काव्यान्जली 2024’ का लोकार्पण हुआ*
Literature June 11, 2025
राकेश भारतीय की कविताएं
Literature June 5, 2025
कमल हासन की मणिरत्नम निर्देशित फिल्म *ठग लाइफ* 5 जून को होगी रिलीज
Uncategorized May 21, 2025
//

We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

Sign Up for Our Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

[mc4wp_form id=”847″]

Follow US

©Lahak Digital | Designed By DGTroX Media

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?