By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept

Lahak Digital

News for nation

  • Home
  • Lahak Patrika
  • Contact
  • Account
  • Politics
  • Literature
  • International
  • Media
Search
  • Advertise
© 2023 Lahak Digital | Designed By DGTroX Media
Reading: पंकज चौधरी की कविताएं
Share
Sign In
0

No products in the cart.

Notification Show More
Latest News
“वीकेएस.फिल्म एकेडमी” मुम्बई ने दो चर्चित नाटकों “राजकुमारी जुलियाना” और “मेरा पति सलमान खान” का शानदार मंचन किया*
Entertainment
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,
Literature
*आज के समय मे हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए : डॉ. विजेन्द्र शर्मा*
Health
कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन
Literature
जवाहरलाल जलज की कविताएं
Literature
Aa

Lahak Digital

News for nation

0
Aa
  • Literature
  • Business
  • Politics
  • Entertainment
  • Science
  • Technology
  • International News
  • Media
Search
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Lahak Digital > Blog > Literature > पंकज चौधरी की कविताएं
Literature

पंकज चौधरी की कविताएं

admin
Last updated: 2023/08/15 at 2:42 PM
admin
Share
13 Min Read
SHARE

1.हिंदी कविता के द्विजवादी प्रदेश में आपका प्रवेश दंडनीय है

साहित्‍य अकादेमी पुरस्‍कार उनका
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार भी उनका
कविता रोतरदम की यात्रा उनकी
विश्‍व कविता सम्‍मेलन की यात्रा भी उनकी
भारत भवन उनका
महात्‍मा गांधी अंतर्राष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय भी उनका
राजकमल, राधाकृष्‍ण और वाणी प्रकाशन से किताबें उनकी
साहित्‍य अकादेमी और भारतीय ज्ञानपीठ से भी किताबें उनकी

Contents
1.हिंदी कविता के द्विजवादी प्रदेश में आपका प्रवेश दंडनीय है2.ये बदचलन लड़कियां3. कैसा देश, कैसे-कैसे लोग4.वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं5.साहित्‍य में आरक्षण6.जाति गिरोह में तब्‍दील हुआ हिंदी साहित्‍य7.कम्‍युनिस्‍ट कौन है?8. इंडिया मीन्‍स कास्‍ट9.इस लोकतंत्र में10.कुमकुम मिश्रा झा

नामवर सिंह, विश्‍वनाथ त्रिपाठी, मैनेजर पांडे
नंद किशोर नवल और विजय कुमार जैसे आलोचक भी उनके

चर्चित कवि, बहुचर्चित कवि, वरिष्‍ठ कवि भी उनके
प्रसिद्ध कवि, सुप्रसिद्ध कवि, सशक्‍त हस्‍ताक्षर और महान कवि भी उनके
कुंवर नारायण, केदारनाथ सिंह, विनोद कुमार शुक्‍ल
अशोक वाजपेयी और विष्‍णु खरे भी उनके
आलोकधन्‍वा, राजेश जोशी, मंगलेश डबराल भी उनके
अरुण कमल, वीरेन डंगवाल, उदय प्रकाश भी उनके
कुमार अम्‍बुज, एकांत श्रीवास्‍तव और प्रेमरंजन अनिमेष भी उनके

आलोचना, पहल, कसौटी उनकी
नया ज्ञानोदय, तद्भव, कथादेश और वागर्थ भी उनकी
आउटलुक उनकी
इंडिया टुडे भी उनकी
जनसत्‍ता, हिन्‍दुस्‍तान, भास्‍कर उनके
उजाला, प्रभात खबर और नवभारत टाइम्‍स भी उनके

ऑल इंडिया का मंच उनका
दूरदर्शन का भी मंच उनका
कविता पाठ के मंच भी उनके

रूसी, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्‍पैनिश
जापानी, चाइनीज और हंगारी में भी अनुवाद उनके
अपना क्‍या, सारा कुछ उनका
हिंदी कविता में सौ-सौ का आरक्षण उनका
भारत का लोकतंत्र भले सबका
लेकिन कविता का लोकतंत्र सिर्फ उनका

सारा कच्‍चा माल गैर-द्विजों का
लेकिन सारे के सारे कवि सिर्फ द्विजों के

कहने को तो भारत हजारों जातियों, धर्मों का देश
लेकिन हिंदी कविता पर मात्र 3-4 जातियों का ही अवशेष

कितने अमीर खुसरो, कबीर और रैदास मर-मर जाते
लेकिन तुलसी और निराला उठ-उठ जाते

द्विजों का ऐसा नंगा नाच जहां
गैर-द्विजों के नायक की वहां गुंजाइश कहां
द्विजों का एकछत्र राज यहां
गैर-द्विज पर भी मार सके नहीं जहां
द्विजों का ऊर्वर प्रदेश जहां
गैर-द्विजों का बंजर प्रदेश वहां

द्विजों के लिए पूनम का उजाला जहां
गैर-द्विजों के लिए अमावस का अंधेरा वहां।

2.ये बदचलन लड़कियां

अपनी-अपनी ड्यूटी से घर लौट रही ये लड़कियां
भरी मेट्रो ट्रेन में अपने-अपने ब्वायफ्रेंड को किस कर दे रही हैं
लड़कों के बालों में अंगुलियां फिरा दे रही हैं
उनके कंधों पर अपने हाथों को रख दे रही हैं
और ऐसे आंख मार रही हैं
जैसे उनको भारी तलब लग गई हो
जबकि लड़के हैं कि लाज से मारे जा रहे हैं
अपनी-अपनी फ्रेंडों से दूर भागने की कोशिश में हैं
तब भी लड़कियां हैं कि गगनचूम्बी हंसी छोड़ रही हैं
आप कह सकते हैं कि ये बदतमीज लड़कियां हैं
शराब पी रखी होंगी
सिगरेट तो इन्हें पीते ही देखा है
सारी शर्मो-हया को घोंट लिया है
तमाम मर्यादाओं, परंपराओं, आस्‍थाओं, संस्कृति को रौंद दिया है
आप इनके बारे में कुछ भी कल्पना कर सकते हैं
और हो सकता है कि आपकी कल्‍पना यथार्थ के काफी करीब भी हों
या आपकी कल्‍पना से भी काफी आगे निकल चुकी हों ये लड़कियां
जैसे
सेक्स पर वे
आपकी भाषा में बिच होकर बोलती हैं
और अपने तरोताजा, हंसमुख और सुंदर होने का राज
सुबह, दोपहर और शाम की सेक्स को बताती हैं
अगर आप
उसके ऊरोजों की तुलना गुम्‍बदों से करते हैं
नितंबों को विंध्याचल पर्वत की उपमा देते हैं
और उसकी योनि को जवाहर सुरंग सरीखी बताते हैं
तो इसका उसे कोई उज्र नहीं
इसको तो वे अपना शानदार विज्ञापन ही मानती हैं
और जब वे खुद-ब-खुद
अपने ब्रेस्ट, क्लीवेज, बटोक्स़
और वजाइना के बारे में
बिंदास होकर बोल रही हों तो फिर क्या कहने
दोस्ती के पहले ही दिन
अपने ब्वॉयफ्रेंड से वे यह पूछना नहीं भूलतीं
कि तुम्हारा साइज क्या है
किसी महिला का अपने पुरुष मित्र से यह सवाल
बिलकुल वैसा ही है जैसा किसी पुरुष का अपनी होने वाली पत्‍नी से
उसकी वर्जिनिटी से संबंधित सवाल बार-बार करना
वर्जिनिटी इन लड़कियों के लिए महापाप का कारण है
और इसे वह उन पाखंडी साध्वियों-संन्यासिनों के लिए छोड़ती हैं
जो पता नहीं अपने कौमार्य का चढ़ावा
कितनी-कितनी बार योगियों, महाराजाओं और शंकराचार्यों को चढा चुकी होती हैं
प्री-मैरिटल सेक्स में यकीन करने वाली ये छोरियां
बेडरूम में अपने पार्टनर का बढ़-चढ़कर सपोर्ट करती हैं
सेक्स की एक-से-एक तरकीबों को आजमाती हैं
और जब वे अपने पार्टनर के ऊपर चढ़ जाती हैं तो वे यह भूल जाती हैं कि मर्द को सदैव ऊपर और औरत को नीचे होना चाहिए
वह अपने पार्टनर का जब उद्याम भोग कर लेती हैं
तो उसे एक जोरदार किस देना भी नहीं भूलतीं
और इस तरह वे बेडरूम से
किसी मर्द का सेक्सगुरु होकर निकलती हैं
वे पहनने के लिए आज
साड़ी और सूट का सेलेक्शन नहीं करतीं
बल्कि टाइट जिंस और खुली बांहों वाली टॉप-स्कर्ट
उसकी प्राथमिकताओं में शुमार है
ताकि इनसे वे कम्फोर्टबल तो रह ही सकें
साथ ही साथ उनके शारीरिक सौन्दर्य और गोलाइयों की भी
सटिक और अचूक अभिव्‍यक्ति हो सके
और ऐसा करते हुए वे
बड़े-बुजुर्गों की उस सीख को भी धता बता रही होती हैं
जो ‘आपरूपी भोजन और पररूपी श्रृंगार’ की नसीहत बघारते नहीं थकते

सेक्‍स और देह उसके लिए आज कोई टैबू नहीं
उसकी देह पर आज किसी और का पेटेंट नहीं
जिसकी देह उसी का पेटेंट सही
देह उसकी तो मर्जी भी उसकी
देह उसकी तो जागीर भी उसी की
उसकी देह और शारीरिक संरचना
आज मजबूरी नहीं बल्कि मजबूती में तब्‍दील हो गई हैं
मेट्रो की लड़कियां
जितनी ज्यादा स्वाबलंबी
उनकी देह उतनी ही आजाद
और जिसकी देह जितनी ज्यादा आजाद
जीवन की राहों पर वह उतनी ही आबाद

और घर की जंजीरें उतनी ही कमजोर।

3. कैसा देश, कैसे-कैसे लोग

कल तक जो बलात्‍कार करते आया है
और बलत्‍कृत स्‍त्री के गुप्‍तांगों में बंदूक चला देते आया है
कल तक जो अपहरण करते आया है
और फिरौती की रकम न मिलने पर
अपहृत की आंखें निकालकर
और उसको गोली मारकर
चौराहे के पैर पर लटका देते आया है

कल तक जो राहजनी करते आया है
और राहगीरों को लूटने के बाद
उनके परखचे उड़ा देते आया है

कल तक जो बात की बात में
बस्तियां दर बस्तियां फूंक देते आया है
और विरोध नाम की चूं तक भी होने पर
चार बस्तियों को और फूंक देते आया है

कल तक जिसे
दुनिया की तमाम बुरी शक्तियों के समुच्‍चय के रूप में समझा जाता रहा है
और लोग-बाग जिसके विनाश के लिए
देवी-देवताओं से मन्‍नतें मांगते आया है
आज वही छाती पर
कलश जमाए लेटा हुआ है दुर्गा की प्रतिमा के सामने
उसकी बगल में
दुर्गा सप्‍तशती का सस्‍वर पाठ किया जा रहा है
भजन और कीर्तन हो रहे हैं
लोग भाव-विभोर नृत्‍य कर रहे हैं
उसकी आरती उतारी जा रही है
अग्नि में घृत, धूमन और सरर डाले जा रहे हैं
घंटी और घंटाल बज रहे हैं
दूर-दूर से आए दर्शनार्थी
अपने हाथों में फूल, माला, नारियल आदि लिए उसकी परिक्रमा कर रहे हैं
उसके पैरों में अपने मस्‍तक को टेक रहे हैं
और करबद्ध ध्‍यानस्‍थ
एकटंगा प्रतीक्षा कर रहे हैं
उससे आशीर्वाद के लिए

ये कैसा देश है
और यहां कैसे-कैसे लोग हैं!

4.वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों को ही कवि मानेंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों को ही पुरस्‍कार दिलाएंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों को ही मंच पर बुलाएंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों के गुट में शामिल रहेंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों को ही नौकरी दिलाएंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों के लेखक संगठन में शामिल रहेंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों को ही आलोचक मानेंगे

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणवादियों को गाली देने वालों को जातिवादी कहेंगे।

वे ब्राह्मणवादी नहीं हैं
लेकिन ब्राह्मणों के नेता बनते जा रहे हैं!

5.साहित्‍य में आरक्षण

अखबार के भी वही संपादक बनते हैं
गोष्ठियों की भी वही अध्‍यक्षता करते हैं
चैनलों पर भी वही बोलते हैं
प्रधानमंत्री के भी शिष्‍टमंडल में
विदेशी दौरे वही करते हैं
लाखों के भी पुरस्‍कार वही बटोरते हैं
वाचिक परंपरा के भी लिविंग लीजेंड वही कहलाते हैं
महान पत्रकार, महान संपादक, महान आलोचक
महान कवि, महान लेखक भी वही कहलाते हैं

और ‘साहित्‍य में आरक्षण नहीं होता’
ये भी वही बोलते हैं।

6.जाति गिरोह में तब्‍दील हुआ हिंदी साहित्‍य

ब्राह्मण ब्राह्मण का कुरिया रहा है
तो भूमिहार भूमिहार का

राजपूत राजपूत का कुरिया रहा है
तो कायस्थ कायस्थ का

चमार चमार का कुरिया रहा है
तो वाल्मीकि वाल्मीकि का

खटिक खटिक का कुरिया रहा है
तो मीणा मीणा का

लेकिन शेष जातियां
अपनी-अपनी कुरियाने में उरिया रही हैं!

7.कम्‍युनिस्‍ट कौन है?

कोई ब्राह्मण है तो कोई भूमिहार है
कोई राजपूत है तो कोई कायस्थ है
कोई जाट है तो कोई गुर्जर है
कोई यादव है तो कोई कुर्मी है
कोई मराठा है तो कोई इझावा है
कोई पटेल है तो कोई कुनबी है
कोई वोक्कालिंगा है तो कोई लिंगायत है
कोई रेड्डी है तो कोई कम्मा है
कोई बनिया है तो कोई कोयरी है
कोई बढ़ई है तो कोई हज़्ज़ाम है
कोई कहार है तो कोई कुम्हार है
कोई महार है तो कोई मांग है
कोई मातंग है तो कोई कापू है
कोई चमार है तो कोई पासवान है
कोई वाल्मीकि है तो कोई खटिक है
कोई धोबी है तो कोई पासी है

कम्युनिस्ट कौन है?

अगर आप कुटिल कम्युनिस्ट नहीं हैं
सच्चे कम्युनिस्ट हैं
तो यकीन मानिए
आपको कम्युनिस्ट नहीं रहने दिया जाएगा।

(आंध्र प्रदेश के क्रांतिकारी दलित लोकगायक ग़दर को समर्पित, जिन्होंने अपने विचारों की घनघोर उपेक्षा से तंग आकर अपने कम्युनिस्ट ग्रुप की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उल्‍लेखनीय है कि अभी हाल ही में उनका इंतकाल हो गया है।)

8. इंडिया मीन्‍स कास्‍ट

स्वीडन में उनको
नोबेल प्राइज के लिए शॉर्टलिस्टेड किया जा रहा था
लंदन से उनके लिए
बुकर प्राइज की घोषणा की जा रही थी
फिलिपिन्स में उनके नाम पर
रेमन मैगासेसे पुरस्कार के लिए
विचार-विमर्श चल रहा था
ऑक्सफ़ोर्ड में उनके नाम पर
चेयर स्थापित की जा रही थी
हारवर्ड में उनकी राइटिंग्स और स्पीचिंचेस को
सिलेबस का हिस्सा बनाया जा रहा था
और कोलम्बिया यूनिवर्सिटी
उनको पिछली शताब्दी का सबसे ब्रिलियंट स्टूडेंट
करार दे रही थी
लेकिन उसी वक़्त
इंडिया में
गूगल पर
उनकी जाति सर्च की जा रही थी।

9.इस लोकतंत्र में

क्या सबको रोजी मिल गई?
क्या सबको रोटी मिल गई?
क्या सबकी छत तन गई?
क्या सबके तन ढंक गए?
क्या सबके मन भर गए?
क्या सबका मान हो गया?
क्या सबको सम्मान मिल मिल गया?
क्या सबको प्यार मिल गया?
क्या सबके मन से डर भाग गया?
क्या सबको इन्साफ मिल गया?
क्या सबकी बेबसी कम गई?
क्या सबकी बेकसी कम गई?

अगर नहीं
तो कहां है आवाज?
कहां है आंदोलन?
कहां है विरोध?
कहां है जुलूस?
कहां है धरना?
कहां है प्रदर्शन?
कहां है हड़ताल?

क्यों है इतना सन्नाटा?
क्यों सबकी बोलती बंद हो गई?

10.कुमकुम मिश्रा झा

मोहतरमा
मिश्रा भी हैं
और झा भी

और स्त्री विमर्श की कवयित्री भी!


पंकज चौधरी, दिल्ली

You Might Also Like

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,

कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन

जवाहरलाल जलज की कविताएं

प्रज्ञा गुप्ता की कविताएं

जयराम सिंह गौर की कहानी -* कुक्कू का क्या होगा *

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
admin August 15, 2023
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article कलम आज उनकी जय बोल … डॉ. श्यामबाबू शर्मा
Next Article विश्वकर्मा योजना की मंजूरी से शिल्पकारों-दस्तकारों की संवरेगी किस्मत : सम्राट चौधरी
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

235.3k Followers Like
69.1k Followers Follow
11.6k Followers Pin
56.4k Followers Follow
136k Subscribers Subscribe
4.4k Followers Follow
- Advertisement -
Ad imageAd image

Latest News

“वीकेएस.फिल्म एकेडमी” मुम्बई ने दो चर्चित नाटकों “राजकुमारी जुलियाना” और “मेरा पति सलमान खान” का शानदार मंचन किया*
Entertainment May 4, 2025
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,
Literature May 1, 2025
*आज के समय मे हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए : डॉ. विजेन्द्र शर्मा*
Health May 1, 2025
कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन
Literature April 30, 2025
//

We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

Sign Up for Our Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

[mc4wp_form id=”847″]

Follow US

©Lahak Digital | Designed By DGTroX Media

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?