पटना, 21 जुलाई । बिहार की राजधानी पटना में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर 13 जुलाई को हुए लाठीचार्ज के दौरान सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल की पिटाई को लेकर सांसद द्वारा लोकसभाध्यक्ष को दिया गया विशेषाधिकार हनन एवं प्रोटोकॉल के उल्लंघन के मामले को स्वीकार कर लिया गया।
सांसद श्री सिग्रीवाल ने लोकसभाध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि 13 जुलाई को बिहार प्रदेश भारतीय जनता पार्टी द्वारा बिहार सरकार के जनविरोधी कार्यकलापों के विरोध में गाँधी मैदान पटना से बिहार विधान सभा तक एक लोकतान्त्रिक एवं शांतिपूर्वक मार्च का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में मैं गाँधी मैदान पटना पहुंचा।
पत्र में आगे कहा गाँधी मैदान कार्यक्रम स्थल पर बिहार प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सह बिहार विधान परिषद् के प्रतिपक्ष के नेता श्री सम्राट चौधरी, बिहार विधान सभा में विपक्ष के नेता श्री विजय कुमार सिन्हा जी एवं भाजपा के अनेकों पूर्व मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण. विधानपार्षदगण सहित अन्य नेतागण उपस्थित थे और सभास्थल से बिहार विधान सभा तक मार्च करने की अनुमति थी । कार्यक्रम बिहार की राजधानी पटना में हो रहा था, इसलिए मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक, बिहार सरकार की जानकारी में था और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की उनकी जिम्मेदारी बनती थी।
उन्होंने कहा कि मैं अनुशासित एवं शांतिपूर्ण ढंग से निर्धारित रूट के अनुसार धीरे-धीरे अपने कार्यकर्ताओं एवं सुरक्षाकर्मियों के साथ गाँधी मैदान से जेपी गोलम्बर, एस. पी. वर्मा मोड़ होते हुए बाटा मोड़ से मुड़कर डाक बंगला चौराहा होकर बिहार विधान सभा तक मार्च के लिए निकला। इस मार्च के सभा के आयोजन हेतु जिला प्रशासन को जानकारी देकर लिखित सहमति पार्टी द्वारा प्राप्त कर ली गई थी तथा मार्च के रुटो के सम्बन्ध में भी भाजपा कार्यालय द्वारा प्रशासन को लिखित जानकारी दे दी गई थी।
उपर्युक्त मार्च के क्रम में मौर्या होटल के बगल से फ्रेजर रोड पर चलते हुए सेन्ट्रल मॉल के सामने से डाक बंगला चौराहा तक मैं जैसे ही पंहुचा तो वहां उपस्थित दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारियों के सामने ही मुझे जान से मारने और अपंग बनाने की नीयत से मेरे सिर (माथा पर ) से लेकर पूरे शरीर पर पुलिस द्वारा लाठियों से हमला कर दिया गया। इतना ही नहीं मेरे साथ जो कार्यकर्ता एवं सुरक्षाकर्मी थे, उनके द्वारा भी चिल्ला-चिल्लाकर लगातार बताये जाने के बाद कि ये माननीय सांसद जी हैं, फिर भी मुझ पर लाठियों से प्रहार जारी रहा।
पत्र में साफ कहा गया है कि वहाँ से मैं किसी तरह बचकर अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ सड़क के दूसरी तरफ हटकर आ गया एवं डाक बंगला चौराहा के पश्चिमी उत्तरी सड़क के किनारे – अपने कार्यकर्ताओं एवं सुरक्षाकर्मियों के साथ खड़ा था। इसी दौरान वहाँ उपस्थित पटना के वरीय पदाधिकारीगण जिनमें अनुमंडल पदाधिकारी पटना सदर श्री खंडेकर श्रीकान्त कुण्डालिक श्री शशि भूषण कुमार, सहकारिता प्रसार पदाधिकारी मसौढ़ी, जो घटना के दिन पटना में पदस्थापित थे, सुश्री काम्या मिश्रा, ए.एस.पी. पटना मध्य के पुलिस उपाधीक्षक एवं घटनास्थल पर उपस्थित अन्य दण्डाधिकारयों के आदेश पर पुलिसकर्मियों ने मुझे चारों तरफ से घेर लिया एवं लाठी बरसाने लगे। ये अधिकारीगण पुलिस वालों को जोर-जोर से लाठी से सिर पर और कमर के ऊपर मारने के लिए आदेश दे रहे थे। इस बर्बर घटना में सामने से माथे पर लाठियों के प्रहार को रोकने के क्रम में मेरे माथे, दोनों हाथों, कन्धा, पीठ और पैर पर काफी गंभीर चोटें लगीं। मेरे ऊपर लाठी से इतना जबरदस्त हमला किया गया कि मैं गिर गया, गिरने के बाद भी पुलिस द्वारा मेरे ऊपर लगातार डंडा बरसाया जाता रहा। इस दमनकारी बर्बर घटना में किसी तरह मेरी जान बची।
उपर्युक्त बर्बर घटना के बाद मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ ( 1 ) श्री रमाशंकर मिश्र ( 2 ) श्री बंटी ओझा ( 3 ) श्री नीरज कुमार (4) श्री शिवाजी सिंह एवं अन्य के साथ मैं IGIMS अस्पताल, राजा बाजार, पटना पहुंचा जहाँ मुझे भर्ती कर उपचार किया गया, साथ ही घटना में घायल उपर्युक्त कार्यकर्ताओं का भी उपचार किया गया।श्री सिग्रीवाल ने बताया कि इस पत्र को लोकसभाध्यक्ष और विशेषाधिकार समिति ने स्वीकार कर लिया है। और अग्रेतर कारवाई के लिए भेजा गया।