बिहार के तीन प्रमुख वाम दल भाकपा-माले, सीपीएम और सीपीआई ने आंदोलनरत नियोजित शिक्षकों पर शिक्षा विभाग के आदेश पर की जा रही दमनात्मक कार्रवाई की निंदा की है और इसपर अविलंब रोक लगाने की मांग की है.
भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, सीपीएम के राज्य सचिव ललन चैधरी और सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि जब महागठबंधन के विधायकों की संयुक्त बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वाम दलों और कल विधानपरिषद में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी आंदोलनरत शिक्षक संगठनों से वार्ता की बात कह चुके हैं, तब ऐसे में शिक्षकों पर कार्रवाई का आदेश समझ से परे है.
वाम नेताओं ने आगे कहा कि यह सही है कि 10 जुलाई को ही मुख्यमंत्री ने विधानमंडल सत्र के बाद वार्ता का आश्वासन दिया था, लेकिन 11 जुुलाई को विभिन्न शिक्षक संगठनों की ओर से बहुत पहले से विधानमंडल के समक्ष धरना का कार्यक्रम घोषित था, जो बेहद शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ. प्रदर्शन में भाग लेने के लिए पटना आ रहे शिक्षकों को जगह-जगह परेशान किया गया. कई शिक्षकों को गिरफ्तार भी किया गया. प्रशासन का यह रवैया ठीक नहीं था.
पता चला है कि शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक ने तमाम जिला शिक्षा पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि पटना के प्रदर्शन में भाग लेने वाले शिक्षकों की शिनाख्त कर उनपर कार्रवाई की जाए. यह ब्यूरोक्रेटिक रवैया हमें स्वीकार नहीं.
वाम दल मुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि दमन की कार्रवाइयों पर अविलंब रोक लगाई जाए और शिक्षक नियमावली 2023 पर वाम दलों व शिक्षक संगठनों से वार्ता का दिन निर्धारित किया जाए.