पटना: बिहार में अमित शाह की फ़ील्डिंग टाइट होती जा रही है. जदयू भारी दबाव में है. नीतीश कुमार की पार्टी पर दो तरफा दबाव है.-भारतीय जनता पार्टी तो ख़ार खायी हुई है ही, राष्ट्रीय जनता दल भी जदयू की कब्र ख़ोदने में लगी है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह का लालू प्रेम ख़तरनाक मोड़ पर है. ललन सिंह अभी जर्मनी में हैं. तेजस्वी यादव भी वहां पहुंचे हुए हैं, ऐसी ख़बर है. ललन सिंह आज कल में विदेश दौरा से लौटने वाले हैं. उधर जदयू के आधा दर्जन से अधिक सांसद भाजपा के सम्पर्क में है.
नीतीश कुमार को इस बात की भनक लग चुकी है. आज से तीन दिनों तक मुख्यमंत्री पार्टी सांसदों से मिल कर फीडबैक ले रहे हैं. इससे पूर्व विधान परिषद सदस्य और विधायकों से उन्होंने मुलाक़ात की थी. सभी को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा गया है. दरअसल,भागने वाले सांसदों पर नियंत्रण बनाने की यह क़वायद है. उधर,मीडिया दबाव बना रहा कि नीतीश कुमार फिर से एनडीए में वापस आ जायें.अंदरखाने यह ख़बर भी ज़ोर पकड़ रही है.
यदि बात बनती है तो लोकसभा के साथ बिहार विधानसभा का भी चुनाव हो सकता है. पूर्व में एनडीए में वापसी की तीन शर्तों में एक शर्त यह भी थी. दीगर बात है कि बात नहीं बनी. सियासी विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार को विपक्ष ने पीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया तो वह खेला कर सकते हैं. सियासी गलियारे से मिल रही ख़बर के मुताबिक़ लालू प्रसाद जल्द से जल्द तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहते हैं. नीतीश तक यह संदेश पहुंचा दिया गया है. ललन सिंह डिप्टी सीएम हो सकते हैं. तेजस्वी के साथ उनका उठना-बैठना काम आ रहा है.
गठबंधन टूटने के बाद गृह मंत्री अमित शाह पांच बार बिहार आ चुके हैं. मगध, शाहाबाद, सीमांचल के कई जदयू के वर्तमान सांसद भाजपा की दहलीज़ पर हैं. जदयू अगर टूटती है तो दो तरफ़ से टूटेगी.-एक समूह भाजपा में जायेगा और दूसरा समूह राजद का दामन थामेगा. नीतीश कुमार केलिए परस्तिथि बहुत विकट है. हालांकि,पार्टी को एकजुट रखने केलिए उन्होंने वर्जिश शुरू कर दी है. माना जा रहा है कि इस महीने बिहार की राजनीति में भारी उथल-पुथल मचने वाली है. जदयू के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा है कि पार्टी एकजुट है, टूट की कोई सम्भावना नहीं है. यह सब बकवास है.