दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कॉंग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी से मिलने के लिए समय मांग रहे मगर कॉंग्रेस नेतृत्व तैयार नहीं है। वजह है कि आप नेता जो कीमत अपनी लगाए बैठे हैं उसे महत्व देने को कॉंग्रेस तैयार नहीं है। यह सही है दिल्ली और पंजाब में कॉंग्रेस को पराजित कर ही आप सत्ता में आई है। उभरते हुए दल के लिए यह सफलता कम नहीं है। आंदोलन से पार्टी की पैदाइश है लेकिन आंदोलन की पवित्रता को दाँव पर लगाकर आप नेताओं पर जो आरोप लगे हैं और जिनके आधार पर आप नेता जेल की आवजाही कर रहे हैं। उसे अन्ना आंदोलन को भरोसे से देखने वाले लोग पसंद नहीं कर रहे हैं। ऊपर से यह शीशमहल प्रकरण भी सिर पर आ गया। सरकारी संसाधन के दुरुपयोग कर कभी 45 तो कभी 51 करोड़ रुपए के शीशमहल निर्माण के आरोप लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री जवाब देने से बच रहे हैं। कॉंग्रेस नेता अजय माकन तो एक सौ करोड़ से भी अधिक खर्च होने की बात मीडिया में कह रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल कॉंग्रेस के खिलाफ विभिन्न राज्यों में चुनाव लड़ भी रहे हैं। आप रियायत तो कॉंग्रेस को दे नहीं रही है। गुजरात में कॉंग्रेस के खिलाफ लड़कर कुछ सीट प्राप्त की। कर्नाटक में भी आप लड़ी जहाँ करारी शिकस्त मिली। उसी तरह से हिमाचल प्रदेश में भी आप ने किस्मत आजमाई। इन दोनों राज्यों में कॉंग्रेस की शानदार जीत हुई और भाजपा की करारी हार। ऐसे में जब भाजपा कॉंग्रेस से हार रही है तो आप कैसे उसे कमतर आंक कर चल रही है। कॉंग्रेस को आप की कोई चिंता नहीं है क्योंकि जहाँ आप सत्ता में है वहाँ कॉंग्रेस मुख्य विपक्षी दल है।
अब देखना है कि अरविंद केजरीवाल कब तक कॉंग्रेस से मिलने का इंतजार करते हैं। रही बात केंद्र सरकार के दिल्ली सरकार के खिलाफ अध्यादेश की तो विपक्षी दल कितना साथ देते हैं यह समय अपेक्षित है। कुछ और नहीं।
लहक डिजिटल डेस्क