नीतीश सरकार से इस्तीफा देने के बाद से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख नेता नए आशियाने की तलाश में हैं। पिछले 13 जून को इस्तीफा देने के बाद से पूर्व मंत्री हो चुके संतोष मांझी पीएम मोदी के कसीदे पढ़ रहे हैं। उन्हें नीतीश कुमार से बेहतर-बेजोड़ और टिकाऊ नेता बता रहे हैं। इससे साफ पता चल रहा है कि जीतनराम मांझी-संतोष मांझी भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं। नीतीश कुमार ने भी 16 जून को मीडिया से बातचीत करते हुए हम नेताओं पर यह आरोप मढ़ा कि ये भाजपा के भेदिया के रूप में काम कर रहे थे। चले गए तो अच्छा ही हुआ। 23 जून की विपक्षी एका की जरूरी बैठक में इन्हें इसीलिए नहीं बुलाया गया था।
नीतीश कुमार के आरोप से नाराज जीतनराम मांझी ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री के पास प्रमाण हैं तो दें कि हम भाजपा से मिले हुए हैं। दरअसल पिछले दिनों की दिल्ली यात्रा में हम नेताओं की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई थी। हालांकि हम नेताओं ने इस यात्रा को पर्वत पुरुष दशरत मांझी को भारत रत्न देने संबंधी मुलाकात बतायी थी। मगर कयास लगाए गए थे कि यह मुलाकात राजनीति है। वैसे समय तो पीएम मोदी से मिलने के लिए मांगा गया था लेकिन उन्हें अमित शाह से मिलने को कहा गया।
19 जून के बाद की दिल्ली यात्रा में देखना जरूरी है कि महागठबंधन से नाता के बाद हम नेताओं को भाजपा कितनी गम्भीरता से लेती है। 2024 के संसदीय चुनाव में एक सीट से अधिक देने को भाजपा तैयार होती है या नहीं, उस पर बातचीत हो सकती है। हम पार्टी के जनाधार को लेकर भी भाजपा सशंकित है कि उसे कितनी सीट दी जाए। समझौते के तरह विधान परिषद या राज्यपाल आदि के पद पर भी बातचीत के संकेत हैं।