निर्भय देवयांश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी समय से पहले लोकसभा चुनाव हो जाने का डर सताने लगा है। ऐसा नहीं होता तो अपने आला अधिकारियों से क्यों कहते कि जो भी काम है समय से पहले पूरा कर लें। जनवरी में यदि चुनाव तो उससे पहले ही ताकि जो काम चल रहा है उसमें बाधा उत्पन्न न हो।
मालूम हो कि अभी तो नीतीश कुमार को 23 जून 2023 को पटना में होने वाली विपक्षी एका की बहुत जरूरी बैठक की चिंता होनी चाहिए थी, लेकिन ये क्या, उससे भी बड़ा डर सामने आ गया। काम की परवाह, अधिकारियों को निर्देश ताकि जो काम बचे हैं उनकी पूर्ति कर प्रचार में बताया जा सके कि काम पूरा कर लिया गया। हम तो जानते थे कि कुछ ऐसा ही होने वाला है। इसलिए अधिकारियों को एलर्ट पर रखा।
देखना है कि यह डर सिर्फ नीतीश कुमार के सामने है या अन्य विपक्षी दलों के लिए भी। और सत्तापक्ष समय से पहले चुनाव कर कोई माइलेज लेना चाहता है। आखिर दो चार महीने में ही ऐसा क्या हो जाएगा कि विपक्षी खेमे में समय से पहले चुनाव का डर चर्चा के केंद्र में है। दरअसल विपक्ष को डर है कि कहीं पीएम मोदी फिर से न सत्ता में आ जाएं और उनके लिए दिक्कत पैदा होगी। जबकि भाजपा अपने किए गए कार्यों के आधार पर, जो नीतीश कुमार को भी लग रहा है कि जो भी कार्य हुए हैं, और जो बचे हैं उन्हें पूरा कर जनता के पास जाकर वोट मांगने में थोड़ी ही सही आसानी हो जाएगी।