हिंदुस्तान आवामी मोर्चा के सर्वेसर्वा जीतन राम मांझी महागठबंधन सरकार से पूरी तरह अलग हो गए हैं। उनके पुत्र जो कि नीतीश सरकार में मंत्री थे वे भी इस्तीफा देकर अलग हो गए हैं। लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के छोटी दुकानदारी सम्बंधी बयान से ऐसा लगता है पिता-पुत्र दोनों आहत प्रतीत हो रहे हैं। जीतनराम मांझी ने कहा कि दुकानदारी की बात जो कह रहे हैं , वही राजनीति में दुकानदारी करते होंगे। उनके लिए राजनीति जन सेवा का माध्यम है। पता नहीं यह किस तरह का बयान है कि राजनीति में दुकानदारी की बात हो रही है। जीतनराम आगे कहते हैं कि हमने जदयू के साथ अपना बंधन किया था। जदयू के साथ थे न कि महागठबंधन में थे। सिर्फ नीतीश कुमार के साथ थे। हमने सरकार में रहते हुए दलितों -महादलितों के उत्थान के लिए नीतीश सरकार से बार-बार आग्रह किया लेकिन कुछ नहीं हुआ।
जीतनराम मांझी के अनुसार लड़कियों के लिए पहली कक्षा से लेकर उच्चतम कक्षा तक निःशुल्क शिक्षा की मांग की थी। पाँच छह एकड़ की जमीन वाले किसानों के लिए मुफ्त बिजली। गरीब परिवारों को एक एकड़ जमीन देने की व्यवस्था की मांग पर किसी पर विचार नहीं हुआ। हमारे साथ बराबर अपमान हुआ। हमारे लोग सरकार से अलग की मांग कर रहे थे। हम के कार्यकर्ताओं का यही निर्णय था और अलग होने पर पटाखा छोड़ रहे हैं। उनके अंदर खुशियां हैं। हम पर विलय के लिए दबाव था लेकिन हम क्यों अपना वजूद खत्म करते। राजनीति में हमारे सभी से अच्छे संपर्क हैं मगर विलय की बात हम क्यों मान लेते।
- लहक डिजिटल डेस्क