By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept

Lahak Digital

News for nation

  • Home
  • Lahak Patrika
  • Contact
  • Account
  • Politics
  • Literature
  • International
  • Media
Search
  • Advertise
© 2023 Lahak Digital | Designed By DGTroX Media
Reading: रामविलास शर्मा : ‘केवल जलती मशाल’ : जसवीर त्यागी
Share
Sign In
0

No products in the cart.

Notification Show More
Latest News
“वीकेएस.फिल्म एकेडमी” मुम्बई ने दो चर्चित नाटकों “राजकुमारी जुलियाना” और “मेरा पति सलमान खान” का शानदार मंचन किया*
Entertainment
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,
Literature
*आज के समय मे हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए : डॉ. विजेन्द्र शर्मा*
Health
कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन
Literature
जवाहरलाल जलज की कविताएं
Literature
Aa

Lahak Digital

News for nation

0
Aa
  • Literature
  • Business
  • Politics
  • Entertainment
  • Science
  • Technology
  • International News
  • Media
Search
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Advertise
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
Lahak Digital > Blog > Literature > रामविलास शर्मा : ‘केवल जलती मशाल’ : जसवीर त्यागी
Literature

रामविलास शर्मा : ‘केवल जलती मशाल’ : जसवीर त्यागी

admin
Last updated: 2023/10/10 at 10:00 AM
admin
Share
7 Min Read
SHARE

आज हिन्दी आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा जी का जन्मदिन है(10 अक्तूबर,1912) उनकी स्मृति और अवदान को नमन करते हुए,प्रस्तुत हैं उनसे जुड़े कुछ प्रसंग-

———–

डॉ.रामविलास शर्मा जी हिंदी आलोचना के युग-पुरुष हैं।सम्भवतः वे हिंदी आलोचना के अकेले ऐसे आलोचक हैं- जिन्होंने सर्वाधिक अनुशासनों में लेखन कार्य किया है।डॉ.शर्मा हिंदी आलोचना के ऐसे विद्वान हैं, जिन्होंने अंग्रेजी-साहित्य में ph.d की। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से जॉन कीट्स पर अपनी पीएच.डी पूर्ण की थी। वे चाहते तो अंग्रेज़ी में लेखन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने हिन्दी में लिखना ज्यादा सार्थक और सही समझा।उनका यह निर्णय हिंदी के प्रति उनके अनन्य प्रेम का सूचक है। हालाँकि हिंदी में लेखन-कार्य करने की बाबत उन्हें जीवन में खामियाज़ा भी भुगतना पड़ा। उनके ph.d शोध-निर्देशक निर्मल कुमार सिद्धान्त को अपने अंग्रेज़ी विद्वान शिष्य का हिंदी में लिखना कतई पसन्द न था।परिणामस्वरूप रामविलास जी को लखनऊ विश्वविद्यालय का अंग्रेज़ी का प्रथम ph.d होने के बावजूद नौकरी के लिए आगरा जाना पड़ा। एक बार मैंने रामविलास जी से पूछा-“लखनऊ विश्वविद्यालय जैसी प्रसिद्ध जगह से आगरा जाना आपको कैसा लगा?” उन्होंने थोड़ी देर अतीत की स्मृतियों में जाते हुए कहा-“पहले-पहल आगरा मुझे अच्छा नहीं लगा, लेकिन इसका मुझे एक बड़ा फायदा हुआ- मैंने अपनी सारी शक्ति लेखन-कार्य में लगा दी। ‘निराला की साहित्य साधना'(तीन खण्ड) जैसी पुस्तक आगरा की ही देन है।”
एक बार एक सज्जन रामविलास जी से मिलने उनके विकास पुरी आवास पर आये।बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा-“डॉ.साहब अगर आपकी पुस्तकों का अंग्रेज़ी भाषा में अनुवाद हो जाये, तो वे ज्यादा पढ़ी जा सकेंगी।” उनकी टिप्पणी सुनकर रामविलास जी ने कहा–“नहीं मैं ऐसा नहीं सोचता, अगर कोई हमारी पुस्तकें पढ़ना चाहता है, तो वह हिंदी सीखे। हमने भी तो अनेक भाषाएँ सीखी हैं।हमने अपनी पुस्तकें हिंदी को बढ़ावा देने के लिए लिखी हैं,ना कि अंग्रेज़ी को।” उनके जवाब से यह साफ ज़ाहिर था,उनके ह्रदय में हिंदी के प्रति कितना अटूट- अगाध प्रेम समाया हुआ है।

रामविलास जी ने अपनी ph.d की थीसिस स्वयं ही टाइप कर ली थी। उनकी थीसिस मूल्यांकन के लिए इंग्लैंड भेजी गयी।रामविलास जी ने पाँच साल तक लखनऊ यूनिवर्सिटी में अध्यापन भी किया था।लेकिन जब परमानेंट अपॉइंटमेंट की बारी आयी तो स्थायी नौकरी किसी और के हिस्से में चली गयी।जबकि उस समय इंग्लिश डिपार्टमेंट के हेड रामविलास जी के गाइड सिद्धान्त साहब ही थे।वे
इंग्लिश और बांग्ला के विद्वान थे। गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगौर निर्मल कुमार सिद्धान्त को बहुत मानते थे। सिद्धान्त साहब रामविलास जी को बहुत स्नेह-सम्मान देते थे। लेकिन उन्हें रामविलास जी का मार्क्सवादी होना और हिंदी में लिखना पसन्द नहीं था।सिद्धान्त जी ने रामविलास जी को नौकरी के सिलसिले में आगरा के बलवंत राजपूत कॉलेज में भेज दिया। हालाँकि लखनऊ से आगरा जाना रामविलास जी को अच्छा नहीं लगा। लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वाह हेतु उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। एक दिन मौके की नज़ाकत को देखते हुए बलवंत राजपूत कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ रामकरण सिंह ने रामविलास जी से पूछा–” डॉ साहब सिद्धान्त जी आपकी तारीफ़ करते हुए थकते नहीं हैं,लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आयी, कि फिर उन्होंने हेड होने के बावजूद भी आपको लखनऊ यूनिवर्सिटी में क्यों नहीं रखा?”
रामविलास जी ने बड़ी संजीदगी से सवाल का उत्तर देते हुए कहा–” इसलिए कि सिद्धान्त साहब चाहते थे, कि लखनऊ की तहजीब आगरा भी पहुँच जाये।”
यह उत्तर सुनकर प्रिंसिपल साहब रामविलास जी विद्वता के साथ -साथ उनकी हाज़िरजवाबी के भी मुरीद हो गये।

रामविलास जी आगरा में बहुत समय तक किराये के मकान में रहे।फिर उन्होंने अपना मकान बनवा लिया। उनका घर मज़बूत और सादगी से परिपूर्ण था। रामविलास जी के घर के सामने डॉ. जटाना रहते थे। डॉक्टरी के पेशे से उन्हें ख़ास आमदनी नहीं होती थी, इसलिए वे मकान बनवाने और बेचने का काम भी करते थे। डॉ. जटाना ने अपने घर को बहुत ही खूबसूरत ढंग से सजाया था। एक दिन कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. रामकरण सिंह रामविलास जी के घर आये।उन्होंने रामविलास जी का घर गौर से देखा और कहा-” रामविलास आपने इस घर को और खूबसूरत क्यों नहीं बनाया?”
रामविलास जी ने कहा-” यह घर मेरे रहने के लिए काफी है। खूबसूरती देखने के लिए सामने डॉ. जटाना का मकान है, उसे देख लेता हूँ।”
उत्तर सुनकर प्रिंसिपल साहब भी डॉ जटाना का मकान देखने लगे।

रामविलास जी अपने पास कुछ डायरियाँ रखते थे,जिनमें वह समय-समय पर कुछ नोट करते रहते थे। एक डायरी ऐसी होती थी जिसमें रोजमर्रा की खास घटना दर्ज होती थीं–जैसे कौन आया,कौन गया,कौन पास हुआ,कौन फेल,खाने में कौन से विशेष व्यंजन खाये, आदि।
बाकी डायरी विशेष विषय सम्बन्धी होती थीं-एक भाषा विज्ञान सम्बन्धी,एक करेंट अफेयर्स संबंधी, एक इतिहास सम्बन्धी और इसी तरह दूसरे विषयों से सम्बन्धित।
कभी-कभी डायरियों में अपने लिए नसीहत भी होती थी। कभी कोई गलती हो जाने पर अपने लिए फटकार भी होती थी।
सन 1993 में उन्होंने एक नए विषय पर डायरी बनाई,जिसका नाम उन्होंने रखा ‘अनुभव सूत्र’। यहां डायरी की कुछ प्रविष्टियां प्रस्तुत हैं:

1 हर किसी के सामने,जो लिख रहे हो उसका वर्णन प्रस्तुत मत करो,पहले उसके दृष्टिकोण, उसकी समझ,का अनुमान कर लो जिससे व्यर्थ बहस में न उलझना पड़े।

2 प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दो।

3 तीसरी पीढ़ी के सामने दूसरी पीढ़ी से मज़ाक मत करो।

4 रात को ग्यारह बजे के बाद मत जागते रहो।

5 रात को चिट्ठियां लिखना बंद।

6 रात को हल्का खाना खाओ।

7 कागज़-पत्र व्यवस्थित रखो,इससे लिखने-पढ़ने के लिए अधिक समय मिलेगा।

8 साक्षात्कारों में नपे-तुले ढंग से कहो..संक्षेप में कहो, वाक्य रचना का ध्यान रखो।

अधिकांश सूत्रों में समय बचाने और उसका सदुपयोग करने पर ज़ोर है। सम्भवत उन्हें लगने लगा था कि समय तेजी से भाग रहा है।

●

जसवीर त्यागी
राजधानी कॉलेज
दिल्ली विश्वविद्यालय

You Might Also Like

सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,

कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन

जवाहरलाल जलज की कविताएं

प्रज्ञा गुप्ता की कविताएं

जयराम सिंह गौर की कहानी -* कुक्कू का क्या होगा *

Sign Up For Daily Newsletter

Be keep up! Get the latest breaking news delivered straight to your inbox.
[mc4wp_form]
By signing up, you agree to our Terms of Use and acknowledge the data practices in our Privacy Policy. You may unsubscribe at any time.
admin October 10, 2023
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Share
Previous Article साहित्य एवं मीडिया महोत्सव 7 से 9 अक्टूबर
Next Article पूर्व एमएलसी रणवीर नंदन, समाजसेवी शंकर झा ने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा की ली सदस्यता
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stay Connected

235.3k Followers Like
69.1k Followers Follow
11.6k Followers Pin
56.4k Followers Follow
136k Subscribers Subscribe
4.4k Followers Follow
- Advertisement -
Ad imageAd image

Latest News

“वीकेएस.फिल्म एकेडमी” मुम्बई ने दो चर्चित नाटकों “राजकुमारी जुलियाना” और “मेरा पति सलमान खान” का शानदार मंचन किया*
Entertainment May 4, 2025
सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक संस्था “मेधा साहित्यिक मंच” ने किया “कविता की एक शाम” का आयोजन हुआ,
Literature May 1, 2025
*आज के समय मे हर किसी को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए : डॉ. विजेन्द्र शर्मा*
Health May 1, 2025
कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श)!- यूरी बोतविन्किन
Literature April 30, 2025
//

We influence 20 million users and is the number one business and technology news network on the planet

Sign Up for Our Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

[mc4wp_form id=”847″]

Follow US

©Lahak Digital | Designed By DGTroX Media

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?