सुहावना है मौसम
सुहवाना है मौसम
फिर क्यों है नमी
काला पड़ा है मेघ
फिर क्यों नहीं है बारिश
तेज वेग से बह रही है हवा
फिर क्यों है उमस सा
चारों ओर है हरियाली
फिर क्यों है सन्नाटा
रंग बिरंगों से भरा है बगीचा
फिर क्यों छायी है चुप्पी सी
खोल दिए गए हैं
बेरोजगार के लिए रोजगार के रास्ते
फिर क्यों है गरीबी
हो रहा है खाद्य सामग्री में गिरावट
फिर क्यों है आर्थिक स्थिति ठप
लगाए जा रहे हैं अनगिनत पेड़
फिर क्यों है वातावरण प्रदूषित
हो रहा है
सब का साथ ,सब का विकास
फिर क्यों है लापरवाही
फिर क्यों है जीवन से दुःखी ग्रस्त
मन मयूर बनने का जी करता
बदलते मौसम का रंग देख
मन में उथल-पुथल मचता है
सुबह होते ही
नई आशा की रोशनी जगमगाती है।
जैसे-जैसे सुबह का पहर
ख़त्म होने को आता
दोपहर की तेज किरण देख
लगता मानो सब कुछ स्थिर सा है
जैसे-जैसे दोपहर का दिन
शाम में ढलने को आता
लगता मानो
मौसम ने अपना मिजाज
बदलना शुरू कर दिया हो
हवाएं सायं सायं करने को लगतीं
बादल काले मेघ से खुद को घिरा पाता
बारिश ज़ोर शोर से
धरती पर मोतियां बिखेरती
बस जी करता है,
मैं भी मयूर बन
संग बारिश के छम छम करूं।
सड़क पर गुज़रती जिंदगी
रास्ते के हर एक
किनारे पर रोज ठहरती है एक जिंदगी
हर एक फुटपाथ पर
पर रोज गुज़रती है एक जिंदगी
किसी की भीख मांगते-मांगते
किसी की फूल, पेपर बेचते-बेचते
हर एक दिन नया सवेरा का आगमन होता है
फिर भी वे बेसहारे
अंधेरों में ही प्रकाश की खोज करने निकल पड़ते हैं
हाथ न लगे जब कुछ भी
कोसते चारों पहर
आने-जाने वाले शहरी बाबू को
हाथ फैलाए,
आंसू बहाए,
भूख न मीटे जब
रो रो कर गोद में लिपट मां से
हर एक दिन नई
कोशिश करने की
कामना किया करते।
एकांत हूँ मैं
जहांँ कोई नहीं है
वहाँ सन्नाटा है।
जहांँ दो चार लोग हैं
वहाँ चुप्पी है।
जहांँ घर के दो लोग नहीं
वहाँ मन विचलित है
जहाँ अपने पसंदीदा व्यक्ति नहीं
वहां मन उदास है।
जहाँ किसी भीड़ में हँसी ठिठोली गूंज रही है
वहाँ मन अशांत है।
जहाँ सब कुछ इच्छा से हो रहा हो
वहाँ चेहरा फिर भी मुरझाया सा है।
जहाँ सभी के साथ बैठे चार बात कर रहे हैं
वहाँ शरीर साथ है
दिमाग स्थिर नहीं है।
जहाँ खुद को कैद कर
किसी कोने में टेक लगाए
बैठे कुछ सोच रहे हैं
वहाँ एकांत है।.
धागों से बंधा रिश्ता
है एक अनोखा रिश्ता
कभी बिगड़ते हैं।
कभी उलझते हैं।
कहीं टकरार है
कहीं शरारत है
है एक अटूट बंधन
जहां एक दूजे के लिए
लड़ झगड़ते हैं
वहीं एक दूसरे से ही भीड़ जाते हैं।
है एक प्रेम से बंधा जोड़ा
जिस पर सब निछावर है
और होशियारी में तेज की
वसुली भी करे भाई से।
है एक बचपन का प्यार
जिसका नायक एक भाई
और नायिका बहन है
बढ़ते उम्र
बदलते रिश्ते
लेकिन कभी न बिछड़ने वाला प्रेम है।
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चक्रधरपुर, पश्चिम सिंहभूम, झारखंड