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Reading: इला प्रसाद की कहानी : * सब डिविजन का स्विमिंग पूल *
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Lahak Digital > Blog > Literature > इला प्रसाद की कहानी : * सब डिविजन का स्विमिंग पूल *
Literature

इला प्रसाद की कहानी : * सब डिविजन का स्विमिंग पूल *

admin
Last updated: 2023/12/21 at 5:25 PM
admin
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25 Min Read
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मॉम, स्विमिंग पूल कब ठीक होगा? गर्मी की छुट्टियाँ तो हो गईं? शार्लट ठुनक रही थी। उसके साथ ही जेडेन और सोफ़िया भी।

“पता नहीं ये असोसियेशन वाले क्या करते हैं। कब से खराब पड़ा है। पता नहीं कब ठीक करवायेंगे। मैं तो कभी मीटिंग में जाती नहीं।“
अपने घर के बाहर लॉन में बैठी एम्मा सड़क पर चहलकदमी करती ओलिविया को सम्बोधित कर रही थी।
“सामने थोड़ी घास उँची हो जाये तो तुरंत नोटिस भेजेंगे, कटवाओ, नहीं तो फ़ाइन लगेगा। पिछले महीने फ़ाइन भरा। आखिर वे डॉलर कहाँ जाते हैं!”
“हमें मीटिंग में जाना चाहिये। हर महीने होती है। तीसरे शनिवार की शाम। ई मेल भेजते हैं वे। असोसिये्शन की मीटिंग में हर होम ओनर को होना चाहिये। हम बोलेंगे तभी ये लोग सुनेंगे!”
“मैं नहीं जा सकती। तीसरे शनिवार की शाम बच्चे मूवी जाते हैं। छुट्टियाँ हैं, इन्हें व्यस्त रखना भी बड़ा काम है।”
“म्यूजिक- कन्सर्ट भी चल रहा है। कान्ये वेस्ट आया हुआ है।”
“हमने भी टिकट लिये हैं। यूँ भी यह हमारा दायित्व नहीं। हमने वोट किया। जब जो एसोसियेशन में हैं, वे काम करें।
“हाँ और क्या! यही तो मैं भी कहना चाहती थी।”
“लेकिन वे वालन्टियर कर रहे हैं। उन्हें कोई सैलरी नहीं मिलती इस काम की।”
“ठीक है, ठीक है लेकिन उन्होंने खुद बोर्ड में होना चुना। चुनाव में खड़े हुए। हमने उन्हें जिताया, अब काम करें।”
“यह तो सच है। यह हमारा काम थोड़े ही है। मैं आजकल बच्चॊं को वाईएमसीए ले जा रही हूँ इतनी गर्मी है। स्विमिंग के बिना कैसे रहेंगे।
अब तक एक और कार आ कर खड़ी हो गई। शर्ले बाहर आई और बातचीत में शामिल हो गई।
“वाई एम सी ए का स्विमिंग पूल अच्छा है। साफ़ सुथरा, व्यवस्थित। थोड़ी सी फ़ीस लेते हैं। उतना तो दे ही सकते हैं। वहीं से आ रही हूँ। बच्चे घर पर रहना नहीं चाह्ते और मुझे भी स्विमिंग पूल तो चाहिये ही।”
“कुछ करना पड़ेगा। हमेशा तो वाई एम सी ए जा नहीं सकते। और हम जायें भी क्यों! थोड़ी सी भी फ़ीस क्यों भरें, जब हम ओम ओनर असोसियेशन फ़ीस भरते हैं। कम्पनी और बोर्ड मेम्बर सबडिविजन का पूल ठीक करायें।”
“हम अब मिलकर कम्पनी को ई मेल करेंगे और असोसियएशन प्रेसिडेंट को कापी भेज दो।”
“मैं करुँगी।” एम्मा बोली। “चलो एक लेटर बनाते हैं और सबों से साइन करवाते हैं। अपनी लेन में तो मैं करवा लूँगी। तुमलोग अपनी -अपनी लेन में करवाओ। चालीस –पचास लोगों ने साइन कर दिया तो हो गया।”
“मैं भी करवा सकती हूँ। इतनी गर्मी हो गई है और स्विमिंग पूल बंद पड़ा है! यह गलत बात है। उन्हें तेजी से काम करना चाहिये।” ओलिविया बोली।
सब सहमत!
अब तक उनके बीच गार्डिमर और होजे भी टहलते हुए आ खड़े हुए थे।
“लेटर बनाने की जरूरत नहीं। मैं मीटिंग में रहूँगा।” होजे ने कहा।
“ठीक है।”
सड़क पर चल रही मीटिंग बर्खास्त हुई।
पल भर में कारें आगे बढ़ गई।

पिछला साल बुरा रहा। तूफ़ानी बारिश के साथ खूब बड़े-बड़े ओले पड़े। स्विमिंग पूल के किनारे टूट गये। लम्बे समय से मरम्मत हुई भी नहीं थी। सबकुछ यूँ भी पुराना हो चुका था। बरसात तो निकल गई, जाडे़ में यूँ भी स्विमिंग पूल बंद रहता है। अब गर्मियाँ हैं।
होम ओनर असोसियेशन की मीटिंग महीने में एक दिन होती है। शनिवार को। महीने का तीसरा शनिवार यानि सबडिविजन के होम ओनर असोसियेशन की मासिक बैठक का दिन। जब से कोरोना काल आरम्भ हुआ है, यह मीटिंग भी जूम पर सिमट गई है। वरना पहले यह मीटिंग किसी बड़े रेस्त्रां के मीटिंग हॉल में होती थी और रात का भोजन वहीं लिया जाता था। सबडिविजन असोसियेशन के लिये, बिना कोई वेतन लिये, स्वेच्छा से अपनी सेवायें देने वाले ये लोग इतना सा सुख पाने के अधिकारी तो हैं ही। यह खर्च असोसियेशन के बजट से आता है और कभी किसी ने आपत्ति नहीं की। मैनेजमेंट कम्पनी तो खैर क्या कहेगी। उसकी नकेल तो इनके हाथ में है।
मार्गारेट पिछले छह साल से प्रेसिडेंट है। उसकी परम मित्र एमिलिया सेक्रेटरी। एमिलिया पहले वाइस प्रेसिडेंट भी रही। फ़िर एक भारतीय – ऎश (आशीष वर्धन) वोट जमा करके ले आया और वाइस प्रेसिडेंट बन गया। फ़िलहाल असोसियेशन की सबसे बड़ी समस्या वह है। ये भारतीय सब के सब इंजीनियर होते हैं। कम से कम मार्गरेट तो यही समझती है। तब भी इनको समय है बोर्ड की मीटिंग में आने का और हर फ़ैसले में टाँग अड़ाने का। वह तो भला हो जौशुआ का जो रबर स्टैम्प की तरह हर बार मार्गरेट की हाँ में हाँ मिलाता है। ये काले भी गोरों का साथ दे देते हैं अक्सर। बोर्ड में कुल जमा सात सद्स्य हैं। क्लाडिया स्पैनिश है लेकिन जौशुआ का साथ देती है। होजे स्पैनिश है, रोबर्टो भी। उन्हें ऎश ने पटा रखा है लेकिन तब भी हारता है हर बार, जब भी किसी मसले पर वोटिंग होती है। रोबर्टॊ अक्सर ही अनुपस्थित रहता है और होजे भी । तब भी इस ऎश को बोलना है, सवाल करने हैं, हर फ़ैसले पर तर्क देने हैं। उसे मार्गरेट बिल्कुल पसंद नहीं करती। कुछ ज्यादा ही नियम- कानून पढ़ लिये हैं उसने।
मैनेजमेंट कम्पनी की गाड़ी सबडिविजन में निरीक्षण के लिये आती रहती है। जिसने नियमों का उल्लंघन किया, उसे नोटिस थमा जाती है और बोर्ड के सद्स्यों को सूचना भेज दी जाती है। सब्डिविजन ड्यूज नहीं भरे किसी ने तो फ़ाइन, घर के सामने की घास नहीं कटवाई तो फ़ाइन, स्वीकृत रंगों के अतिरिक्त किसी अन्य रंग का पेंट कराया तो फ़ाइन। डीड रेस्ट्रिक्शन के विरुद्ध जाकर घर के आगे या पीछे कोई कंस्ट्रशन कराया तो मैनेजमेंट कम्पनी उसे तुड़वा देने का भी अधिकार रखती है। आप सबडिविजन में रहते हैं तो नियमों का पालन तो करना ही होगा। घरों की एकरूपता, सुंदरता का ध्यान रखना होगा। सबडिविजन की स्वच्छता का भी।
आज की मीटिंग में कई फ़ैसले होने हैं। अचानक आये तूफ़ान में स्विमिंग पूल बरबाद हो गया। मरम्मत करवानी होगी। लाइफ़ गार्ड की नियुक्ति करनी है। ऑफ़िस का कम्प्यूटर खराब हो गया है। मरिया के घर के सामने इतना कचरा था, उसके फ़ाइन का फ़ैसला होना है। उसने एक साल से सबडिविजन ड्यूज नहीं भरे हैं। ऐसे कैसे चलेगा!
सबडिविजन के होम असोसियेशन अकाउंट में अस्सी हजार डालर हैं। सारे काम हो सकते हैं। बोर्ड के सभी सद्स्य अपने घर से जूम पर उपस्थित हैं। हाय- हलो हो चुकी। अब आगे की कार्यवाही।
“स्विमिंग पूल आफ़िस का कम्प्यूटर मानिटर खराब है। नया खरीदने की आवश्यकता है।” एमिलिया ने बोर्ड मीटिंग में पहला प्रस्ताव रखा।
मानिटर की कीमत दो सौ डालर। आर्डर कर दें। मार्गरेट ने मैनेजमेंट कम्पनी को हिसाब दिया। कम्पनी ही मीटिंग के मिनट्स का लेखा -जोखा रखती है। कम्पनी की तरफ़ से आए डेविड ने नोट किया।
“ना, माइक्रोसेंटर में सेल चल रही है। सौ डालर में आ जायेगा।” ऎश ने असहमति जताई।
“कौन लाने जायेगा? तुम?” जौशुआ हँसा। क्लाडिया मुस्कराई।
“ले आउँगा।”-ऎश अब भी सहज था। इनकी मनमानी से लड़ने ही तो बोर्ड में घुसा है।
“पैसे तुम्हारी जेब से नहीं जा रहे।” मार्गरेट मुस्कराई।
ये इंडियन हर जगह बचत करने की सोचॆंगे। क्या मानसिकता है। कितना भी कमायें मन से गरीब ही रहेंगे। बेचारे!
“असोसियेशन का फ़ंड हमारी जेब से बनता है।”-ऎश का तर्क था।
“लाने दो उसे।”-एमिलिया ने सबों को चुप किया।
डेविड ने नोट किया।
स्विमिंग पूल के लिये मैं साठ हजार डालर का प्रस्ताव रखती हूँ। पूरे पूल को तोड़ कर नया बनायेंगे। गर्मियाँ आने से पहले पूल तैयार हो जाना चाहिये था। हमने किया नहीं। गर्मी की छुट्टियों में वह बच्चॊं की जरूरत बन जाता है। बड़ॊं के लिये भी।
आज रोबर्टॊ फ़िर अनुपस्थित है। यह विरोध भी होजे और ऎश के हिस्से में आयेगा।
“मैंने पहले भी कहा था और आज भी मेरा प्रस्ताव यही है कि स्विमिंग पूल बंद कर दिया जाय। उसकी जगह टेनिस कोर्ट और पार्टी रूम बना लें। साठ हजार से कम में ये दोनों काम हो सकते हैं।”
“नही स्विमिंग पूल तो होना ही चाहिये। पार्टी तो घर में हो जाती है। टेनिस कोर्ट के लिये अलग से बिल्डिंग खड़ी करनी होगी। इतना फ़ंड नहीं है।”
“फ़िर मरम्मत करवा सकते हैं। कम खर्च होगा।”
“नहीं, तुड़वा कर नया बनवायेंगे।”
वोटिंग हुई। सारे वोट एक तरफ़। ऎश और होजे एक किनारे..
“मुझे एक अन्य बात पर भी आपत्ति है। मरिया से मैंने बात की थी। उसकी नौकरी चली गई है। वह इसलिये शुल्क नहीं भर पा रही। कचरे का फ़ाइन लगाया है कम्पनी ने लेकिन उसके ड्यूज पर भी फ़ाइन लगा दिये हैं अलग से। यह गलत है।”
वे सब हँसने लगे। वे सब यानि वे चार- मारगरेट, एमीलिया, क्लाडिया और जौशुआ।
“उसने तुम्हें बताया? ई मेल किया?” एमीलिया की तरफ़ से प्रश्न आया।
“नहीं, मैं उधर से गुजर रहा था। उसने मुझसे बात की। मैनेजेमेंट कम्पनी का नोटिस दिखाया।”
“तुम्हें उससे इतनी सहानुभूति क्यों है? दोस्त है तुम्हारी? गर्ल फ़्रेंड है? सोते हो उसके साथ?” मार्गरेट हँसी।
एक बार फ़िर वे चारों हँसने लगे। होजे चुप था।
ऎश तमतमा गया।
“बकवास बंद करो। मैंने लॉजिकल बात की है। सबडिविजन के सभी निवासियों के अधिकार बराबर हैं। तुम इस तरह अतिरिक्त जुर्माना नहीं लगा सकते। यह नियम विरुद्ध है और तुम्हें मुझसे इस तरह बात करने का भी कोई अधिकार नहीं है। तुम्हें इसके लिये मुझसे माफ़ी माँगनी होगी।”
“मैंने ऐसा कुछ कहा ही नहीं। माफ़ी किस बात की।”
“मैं तुम्हें लीगल नोटिस भेजूँगा।”
“मैंने ऐसा कुछ बोला ही नही है जो मैं माफ़ी माँगू।“
“ठीक है, मैं देखता हूँ।””
मीटिंग खत्म हो गई।
__

मीटिंग के मिनट्स रखने का हर सदस्य का अधिकार है। मुझे रिकार्डिंग चाहिये। मीटिंग के बाद मैनेजमेंट कम्पनी को ऎश ने ई मेल किया।
उसने अपनी लीगल कम्पनी को भी ई मेल लिखा। उसे सहायता और सलाह की आवश्यकता है। उसे बुली किया जा रहा है।
कल बात करेगा, जब वे उससे सम्पर्क करेंगे।
__
अगले दिन एमिलिया का मार्गरेट को फ़ोन आया। ये दोनों पिछले तीस सालों से सबडिविजन में रह रही हैं। सबडिविजन की सबसे पुरानी निवासिनी। तब यह सबडिविजन बन रहा था। सबसे अच्छे हिस्से में औरों से ऊँची कीमत दे कर उन्होंने अपने घर खरीदे। चार सौ सिंगल फ़ैमिली होम वाले इस सबडिविजन पर उनका इतना हक तो बनता ही है कि वे उससे जुड़े निर्णय लेने का अधिकार रखें। रिटायर हो कर घर बैठी स्त्रियों के लिये यह अच्छी स्थिति है। कुछ लोगों से अपने आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर करवा कर वे प्रेसिंडेट और सेक्रेटरी बन बैठीं। और कोई तो परवाह नहीं करता, कोई मीटिंग में नहीं आता, प्रश्न नहीं करता.. बस इस इंडियन ने नाक में दम कर रखा है।
“तुम्हें ऐसे नहीं बोलना चाहिये था। वह इंडियन है।”
“मैंने ऐसा क्या बोला?”
“उसे गर्लफ़्रेंड वाला मजाक अच्छा नहीं लगा। वह तुम्हें कोर्ट में घसीट सकता है।”
“मैं कह दूँगी, मैंने ऐसा कुछ कहा ही नही।”
“रेकार्डिंग चल रही थी।”
“कम्पनी को काल करो कि वो मिनट्स डिलीट कर दे।”
ओ के.
****
“मेरी समझ में नहीं आता सबडिविजन में स्विमिंग पूल होना क्यों जरूरी है!”
“भारतीय हो न, नहीं समझोगे।”
“ऐसा नहीं है कि मैं नहीं जानता कि यह अमेरिका में स्टेटस सिम्बल है। जैसे युनिवर्सिटी, कालेज या स्कूल की रैंकिंग उसके फ़ुटबाल फ़ील्ड और गेम्स में उसके प्रदर्शन से होती है, वैसे ही सब्डिविजन के लिये स्विमिंग पूल भी जरूरी है।
“और टेनिस कोर्ट?”
“वह भी।”
जब जानते ही हो तो हर बार होम असोसियेशन की मीटिंग के बाद बौखलाते क्यों हो! हे मेरे पति परमेश्वर! आप कृपया अपना ब्लड्प्रेशर न बढ़ायें। शांत हो जायें प्रभु! भोजन तैयार है।”
“चलो।”
खाने की मेज पर फ़िर वही – “लेकिन उसे रिफ़र्बिश किया जा सकता है, रेनोवेट करने पर साठ हजार डालर का खर्च आयेगा। असोसियेशन फ़ंड में कुल जमा अस्सी हजार हैं। उसमें से ये साठ हजार उस पर खर्चे करना चाहते हैं। बोलो तो सुनेंगे नहीं। मेरा एक वोट विरोध में, होजे ने साथ दिया तो दो हुए बाकी के सब पक्ष में।
“मैं तो कहती हूँ, इस असोसियएशन में होने की आवश्यकता ही क्या है। क्या मिलता है तुम्हें वालंटीयर करके? अपनी नौकरी करो। हर महीने सप्ताहांत का एक दिन इन मीटिंग को देकर अपना दिमाग खराब करने की जरूरत? चार सौ परिवारों के पूरे सबडिविजन में बीस भारतीय परिवार हैं। कोई आता है मीटिंग में?”
“इसलिये तो जरूरी है। गोरों के इस सब्डिविजन में हमारी भी कोई आवाज होनी चाहिये।”
“हमारी सोच ही अलग है। कैसे मेल खायेगी।”
“मैंने कई बार प्रस्ताव दिया कि पूल को भरवा कर वहाँ बच्चॊ के खेल का मैदान बना दें और एक पार्टी हॉल। उससे भी लोगों को सुविधा होगी। गर्मी की छुट्टियों में केवल पूल में नहाते नहीं, खेलते भी हैं बच्चे।
आपलोग पार्टी भी करते हैं। स्विमिंग पूल के लिये एक ट्रेनर है, एक लाइफ़ गार्ड है। उन्हें भी वेतन मिलता है। वह भी बचेगा।”
“वही समस्या है न। हम भारतीय हर जगह सेविंग्स सोचते हैं और इन्हें आखिरी पाई तक खरचने की पड़ी है।”
“वे सब मुझ पर हँस रहे थे, जब मैंने प्रस्ताव दिया।”
“ठीक तो। हँसेंगे ही।”
***
ऎश के वकील ने उसे सोमवार को फ़ोन किया। वह रास्ते में था। कार चलाता हुआ। पहले तो उसने ब्लू टुथ पर बात करना आरम्भ किया लेकिन फ़िर एक जगह गाड़ी पार्क कर ली। लम्बी बातचीत करनी है उसे।
“मैं तुम्हारा आदर करता हूँ कि तुम दूसरों के लिये इतना सोचते हो। उन्हें इस तरह बात नहीं करनी चाहिये। लेकिन कोर्ट तक जाने के बजाय उनसे मीटिंग में माफ़ी माँगने को कहॊ। यह मीटिंग के मिनट्स में रिकार्ड होना चाहिये।”-वकील कह रहा था।
“यह पहली बार नहीं है। वे पहले भी बुरा व्यवहार कर चुके हैं। मैंने बतलाया था।”
“हाँ, याद है मुझे। तब भी यही सलाह दूँगा कि उसे मीटिंग में माफ़ी माँगने को कहो। उसे कोई अधिकार नहीं है, इस तरह बात करने का।मैं उसे लीगल नोटिस भेज सकता हूँ, यदि तुम चाहो।”
वह देर तक बात करता रहा।
फ़िर अंतत: यह तय करके कि वह मार्गरेट को ई मेल लिखेगा, मैनेजमेंट कम्पनी को भी और कापी भेजेगा सबको। वकील को भी, बातचीत खत्म हुई।
वकील अच्छा था। उसने उसके दुखते मन पर मरहम लगाया था। कानूनी दाँवपेंच समझाये थे और उचित सलाह दी थी।
संतुष्ट मन वह घर लौटा।
इस बीच स्विमिंग पूल वैसे ही पड़ा रहा। गर्मियाँ चलती रहीं। बच्चे दूसरे बच्चॊं के साथ खेलते रहे। साठ हजार डालर अकाउंट से निकालने के पहले की प्रक्रिया पूरी होती रही। सारे खर्च का लेखा- जोखा, फ़िर कन्ट्रेक्टर तय करना, वगैरह -वगैरह।
अगली मीटिंग के पहले जब पिछली मीटिंग के मिनट्स की फ़ाइल भेजी गई तो उसमें उस घटना का जिक्र नहीं था।
वे सब एक बार फ़िर जूम मीटिंग में थे।

“यह नहीं हो सकता। इसे नहीं डाला जा सकता।”-डेविड ने सफ़ाई दी।

“माफ़ी नहीं माँगी गई तो मैं तो कोर्ट जाउँगा।” -ऎश ने स्पष्ट कर दिया।

“तुम इतने क्यों नाराज हो? मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा था।”- मार्गरेट सुलह पर उतर आई थी।
यूँ भी उसका कार्यकाल खत्म हो रहा था और वह अगले तीन सालों के लिये फ़िर से बोर्ड में रहना चाहती थी। उसके साथ ही उसकी मित्र एमीलिया का कार्यकाल भी खतम हो रहा था । यानी दो सीटों के लिये चुनाव होने थे।
“डेनियल ने अपना आवेदन पत्र भरा था। वह एक प्रत्याशी है।”
“वह आया क्यों नहीं आज की मीटिंग में? हम उसका नाम हटा देंगे।”
“तुमने क्या ऐसी कोई सूचना भेजी थी कि सभी प्रत्याशियों को आज की मीटिंग में उपस्थित होना है? तुम अपनी मर्जी से नियम भी बदल दोगे?”
“नियम बदल गए हैं। तुम्हें क्या ई मेल नहीं मिला?”
“मुझे मिला है लेकिन यह सूचना होम असिसियेशन की वेबसाइट पर आज की मीटिंग के पहले डाल दी जानी चाहिये थी।”
मार्गरेट खौल कर रह गई। सारे समय कानून पढ़ायेगा।
“ठीक है, हम इस मीटिंग को स्थगित करते हैं। अगले शनिवार हम फ़िर मिलेंगे। तब नये बोर्ड मेम्बर का चुनाव होगा।”
एक सप्ताह का समय था।
आफ़िस के काम के बाद, शाम को प्रतिदिन ऎश मास्क लगा कर घर से निकल जाता। प्रोमिला जानती थी, वह रुकेगा नहीं। कुछ भी कहना बेकार है।
उसने डेनियल को अपने साथ ले लिया था। सबडिविजन के लोग आश्चर्य से उसे सुनते। आज तक कभी किसी ने हमें यह सब नहीं बताया। न हमारा हाल पूछने आया।
शिकायतें और शिकायतें…
– मैनेजमेंट कम्पनी हमारी नहीं सुनती। आये दिन नोटिस देती रह्ती है।
– हम कभी मीटिंग में नहीं जाते। हमें नहीं पता किससे शिकायत करनी है।
– असोसियेशन की वेबसाइट पर होगी सूचना। हमारे पास कम्प्यूटर नहीं है। हम बूढ़े लोग हैं।
– “मेरा पड़ोसी रात भर जोर -जोर से गाने बजाता है। मैंने पुलिस को बुलाया भी लेकिन दो दिन बाद फ़िर वही।“
– सामनेवाले का कुत्ता मेरे यार्ड में गंदा करता है। वह अपने कुत्ते को बाँध कर नहीं रखता।”
– हम नहीं चाहते कि साठ हजार डालर का स्विमिंग पूल बने, जब कम में काम हो सकता है।
सप्ताह भर में सबडिविजन की हवा बदल गई थी।
अगली मीटिंग में डेनियल वाइस प्रेसिडेंट और ऎश प्रेसिडेंट चुन लिये गये। अच्छे खासे मत थे उनके पास।
उसके बाद अगले ही दिन यानि रविवार शाम को अगली मीटिंग स्विमिंग पूल पर हुई। कई लोग चले आये देखने- सुनने। स्विमिंग पुल के बाहर के नोटिस बोर्ड पर लगी सूचना का असर था।
स्विमिंग पुल की मरम्मत होगी। तय हुआ।
पूल के बगल में टेनिस कोर्ट और पार्टी रूम की दो मंजिली इमारत बनेगी। इस सबको मिला कर भी शायद साठ हजार का खर्च न आये।
लोगों को अच्छा लगा।
मैनेजमेंट कम्पनी का डेविड उपस्थित नहीं था। ऎश खुद मिनट्स का हिसाब रखता रहा।
रात को ऎश के मेल बाक्स में जौशुआ का ईमेल था।
“मैं बोर्ड की सदस्यता छोड़ रहा हूँ। मुझे स्विमिंग पूल को लेकर लिया गया तुमलोगों का फ़ैसला अच्छा नहीं लगा। मैं वैसे भी तुम्हें पसंद नहीं करता।”
“तुम रेसिस्ट हो!” ऎश ने कहा।
“हाँ, मैं हूँ । ” सपाट स्वर में उत्तर आया|

ऐश ने उसका त्याग पत्र स्वीकार लिया। किस- किस से उलझे! अब कई लोग बोर्ड में आने के इच्छुक थे। नये सदस्य के चुनाव में कोई परेशानी नहीं हुई।
अब मीटिंग स्विमिंग पूल के हॉल में ही होती। लोगों को अच्छा लग रहा था कि बात आगे बढ़ेगी।
पिछले बोर्ड ने जिन्हें साठ हजार डालर का कान्ट्रेक्ट देने पर हामी भरी थी, ऎश और नये सदस्यों ने उसकी छुट्टी कर दी।
यह मैनेजमेंट कम्पनी को अच्छा नहीं लगा।
उसने अपना त्यागपत्र सौंप दिया। “हम तुम्हारे साथ काम नहीं कर सकते।”
“ठीक है। सारे पेपर भेज दो।”

“ये सब मिले हुए थे। रेसिस्ट।”
“तुम्हें ठीक से आडिट करवाने के बाद इस कम्पनी को छुट्टी देनी चाहिये।” प्रोमिला ने कहा।
“मुझे सारी रिकार्डिंग भी लेनी है।”
“और कहीं जो डिलीट कर दिया हो।”
“वह भी पता चल जाता है कि यहाँ से डिलीट किया गया।”
“फ़िर ठीक है।”
“हाँ।”
“अभी भी बोर्ड में तुम अकेले इंडियन हो। कोई भारतीय साथ देने नहीं आया।”
“कोई देवी जी भी नहीं।”, वह मुस्कराया।
“यह अच्छा नहीं हुआ। अगली सीट जब खाली होगी। मैं बोर्ड में आ जाउँगी।”, प्रोमिला हँसी।
“रहने दो। तुम्हारी जरूरत नहीं।”, वह गम्भीर हो गया।
प्रोमिला को ऐसी कोई इच्छा भी नहीं। वह तो ऎश के लिये परेशान रही। बहुत अपमानित होता रहा था ऎश और उस अपमान की साक्षी रही थी वह। हमेशा कहती रही कि इस पचड़े में पड़ कर तुम्हें मिलना क्या है! छोड़ो यह सब। अपनी नौकरी करो। कोई साथ देने भी आता नहीं। अकेले की लड़ाई और वह भी मुफ़्त का काम करने के लिये।
लेकिन आज उसे अच्छा लग रहा था।
अच्छा मार्गरेट को भी लग रहा था। स्विमिंग पूल बने न बने, उसकी बला से। मरिया जाये भाड़ में। ऎश से उसने माफ़ी तो नहीं माँगी न।

****
Ila Prasad
PO Box 680902
Houston, TX 77268-0902

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